Amazon cover image
Image from Amazon.com

Swarnim bachpan: ek buddhapurush ka vidroh bachapan (स्वर्णिम बचपन: एक बुद्धपुरुष का विद्रोह बचपन)

By: Material type: TextTextPublication details: Haryana Penguin Random House India Pvt. Ltd. 2024Description: 749 pISBN:
  • 9780143456254
Subject(s): DDC classification:
  • 891.44 OSH
Summary: एक बुद्धपुरुष का विद्रोही बचपन बुद्धों की जीवनी लिखी नहीं जा सकती, क्योंकि उनके जीवन के इतने रहस्यपूर्ण बेबूझ तल होते हैं कि वे सब उनके आचरण में प्रतिबिंबित नहीं होते। जीवनी होती है किसी भी व्यक्ति के आस – पास घटी हुई घटनाओं का दस्तावेज़, उन घटनाओं की व्याख्या। अब एक जाग्रत चेतना के आचरण की व्याख्या सोए लोग कैसे करें। प्रबुद्ध पुरुषों की आत्मकथा यदि कोई लिख सकता है, तो वे स्वयं, लेकिन वे लिखते नहीं, क्योंकि उनके लिए उनका बाह्य जीवन एक स्वप्न से अधिक कुछ नहीं है। उनके भीतर विराजमान समयातीत चेतना को समय के भीतर घटने वाली छोटी – मोटी घटनाओं से कोई सरोकार नहीं। ओशो जैसे विद्रोही और आध्यात्मिक क्रान्तिकारी को समझना तो और भी मुश्किल है। बचपन में उन्होंने जो कारनामे किए, उन्हें एक मन में जीने वाला व्यक्ति करता है, तो उस पर शैतान होने का इलज़ाम लगाया जा सकता था, लेकिन जब जाग्रत उन्हें करता है, तो उसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं। इसे ध्यान में रखकर यह किताब पढ़ी जाए, तो ओशो के बचपन की झलकें हमें हमारा अपना जीवन समझने में मदद कर सकती हैं। (https://www.penguin.co.in/book/swarnim-bachpan-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A4%AA%E0%A4%A8/)
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Collection Call number Copy number Status Date due Barcode
Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 891.44 OSH (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 008612

एक बुद्धपुरुष का विद्रोही बचपन बुद्धों की जीवनी लिखी नहीं जा सकती, क्योंकि उनके जीवन के इतने रहस्यपूर्ण बेबूझ तल होते हैं कि वे सब उनके आचरण में प्रतिबिंबित नहीं होते। जीवनी होती है किसी भी व्यक्ति के आस – पास घटी हुई घटनाओं का दस्तावेज़, उन घटनाओं की व्याख्या। अब एक जाग्रत चेतना के आचरण की व्याख्या सोए लोग कैसे करें। प्रबुद्ध पुरुषों की आत्मकथा यदि कोई लिख सकता है, तो वे स्वयं, लेकिन वे लिखते नहीं, क्योंकि उनके लिए उनका बाह्य जीवन एक स्वप्न से अधिक कुछ नहीं है। उनके भीतर विराजमान समयातीत चेतना को समय के भीतर घटने वाली छोटी – मोटी घटनाओं से कोई सरोकार नहीं। ओशो जैसे विद्रोही और आध्यात्मिक क्रान्तिकारी को समझना तो और भी मुश्किल है। बचपन में उन्होंने जो कारनामे किए, उन्हें एक मन में जीने वाला व्यक्ति करता है, तो उस पर शैतान होने का इलज़ाम लगाया जा सकता था, लेकिन जब जाग्रत उन्हें करता है, तो उसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं। इसे ध्यान में रखकर यह किताब पढ़ी जाए, तो ओशो के बचपन की झलकें हमें हमारा अपना जीवन समझने में मदद कर सकती हैं।

(https://www.penguin.co.in/book/swarnim-bachpan-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A4%AA%E0%A4%A8/)

There are no comments on this title.

to post a comment.

©2025-2026 Pragyata: Learning Resource Centre. All Rights Reserved.
Indian Institute of Management Bodh Gaya
Uruvela, Prabandh Vihar, Bodh Gaya
Gaya, 824234, Bihar, India

Powered by Koha