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Neeli bayaaz

By: Material type: TextTextPublication details: Rajkamal Prakashan New Delhi 2024Description: 157 pISBN:
  • 9789360866174
Subject(s): DDC classification:
  • 891.431 KAF
Summary: अदनान कफ़ील दरवेश ऐसे कवि हैं जो नए हिन्दुस्तान में जन्मे और पले-बढ़े, जिन्होंने ख़ुद को मक् तब के बजाय लड़ाई के मैदान में खड़ा पाया। अपने इर्द-गिर्द उत्तरोत्तर विषाक्त होते जाते राजनीतिक और सांस्कृतिक माहौल में कविता ही उनका शस्त्र और कवच है। वह हिन्दी में अपने समय के एक साहसी, उदास और स्वप्नशील कवि हैं। जैसे-जैसे इस नए हिन्दुस्तान की मुहब्बतें और नफ़रतें, विषमताएँ और बेचैनियाँ अपना अतिक्रमण बढ़ाती जाती हैं—जिनको संज्ञान में लेना हर सच्चे रचनाकार की नियति है—वैसे-वैसे उनकी आवाज़ में पुराने हिन्दुस्तान की गूँज भी तेज़तर होती जाती है। यह नई सांस्कृतिक बर्बरता, नैतिक ख़ालीपन और साम्प्रदायिक फ़ाशीवाद के बरक्स हमारे उपमहाद्वीप के ऐतिहासिक सेकुलर-मानववादी ज़मीर की आवाज़ है। बारी-बारी से उनकी आवाज़ में एक देशज-स्थानीय आवाज़ आती है तो एक शरणार्थी आवाज़ भी। वह अपने वतन में भी हैं और निर्वासन में भी, जो कि हर अच्छे कवि की पहचान है। अदनान अपनी काव्यभाषा में आज़ादी और ख़ुदमुख़्तारी पर बज़िद हैं। ज़बान और लहजे के ऐतबार से वह हिन्दीवादी भाषिक और सांस्कृतिक वर्जनाओं और लिखित-अलिखित संहिताओं का उल्लंघन करते हैं। उनकी रचनाशीलता के मूल स्रोत आधुनिक हिन्दी की अलगाववादी और मनमाने ढंग से परिभाषित काव्यधारा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उत्तर भारत की इलाक़ाई परम्परा और सैकड़ों सालों से चली आ रही समृद्ध और परिपक्व हिन्द-फ़ारसी परम्परा की अन्तर्क्रिया में हैं। उनकी कविता में एक ख़ास तरह का हमदर्दाना लहजा, लयकारी, संगीतमयता और चुनौती भरा स्वर है। एक ख़ानाबदोश गायक की तरह वह अपना संगीत अपने साथ लेकर चलते हैं। —असद ज़ैदी (https://rajkamalprakashan.com/neeli-bayaaz.html)
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Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 891.431 KAF (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 008188

अदनान कफ़ील दरवेश ऐसे कवि हैं जो नए हिन्दुस्तान में जन्मे और पले-बढ़े, जिन्होंने ख़ुद को मक् तब के बजाय लड़ाई के मैदान में खड़ा पाया। अपने इर्द-गिर्द उत्तरोत्तर विषाक्त होते जाते राजनीतिक और सांस्कृतिक माहौल में कविता ही उनका शस्त्र और कवच है। वह हिन्दी में अपने समय के एक साहसी, उदास और स्वप्नशील कवि हैं।

जैसे-जैसे इस नए हिन्दुस्तान की मुहब्बतें और नफ़रतें, विषमताएँ और बेचैनियाँ अपना अतिक्रमण बढ़ाती जाती हैं—जिनको संज्ञान में लेना हर सच्चे रचनाकार की नियति है—वैसे-वैसे उनकी आवाज़ में पुराने हिन्दुस्तान की गूँज भी तेज़तर होती जाती है। यह नई सांस्कृतिक बर्बरता, नैतिक ख़ालीपन और साम्प्रदायिक फ़ाशीवाद के बरक्स हमारे उपमहाद्वीप के ऐतिहासिक सेकुलर-मानववादी ज़मीर की आवाज़ है।

बारी-बारी से उनकी आवाज़ में एक देशज-स्थानीय आवाज़ आती है तो एक शरणार्थी आवाज़ भी। वह अपने वतन में भी हैं और निर्वासन में भी, जो कि हर अच्छे कवि की पहचान है।

अदनान अपनी काव्यभाषा में आज़ादी और ख़ुदमुख़्तारी पर बज़िद हैं। ज़बान और लहजे के ऐतबार से वह हिन्दीवादी भाषिक और सांस्कृतिक वर्जनाओं और लिखित-अलिखित संहिताओं का उल्लंघन करते हैं। उनकी रचनाशीलता के मूल स्रोत आधुनिक हिन्दी की अलगाववादी और मनमाने ढंग से परिभाषित काव्यधारा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उत्तर भारत की इलाक़ाई परम्परा और सैकड़ों सालों से चली आ रही समृद्ध और परिपक्व हिन्द-फ़ारसी परम्परा की अन्तर्क्रिया में हैं।

उनकी कविता में एक ख़ास तरह का हमदर्दाना लहजा, लयकारी, संगीतमयता और चुनौती भरा स्वर है। एक ख़ानाबदोश गायक की तरह वह अपना संगीत अपने साथ लेकर चलते हैं।

—असद ज़ैदी

(https://rajkamalprakashan.com/neeli-bayaaz.html)

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