Pratinidhi kavitayen
Material type:
- 9788126702633
- 891.431 INS
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.431 INS (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 008184 |
उर्दू के सुविख्यात शायर इब्ने इंशा की प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों की यह पुस्तक हिन्दी पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के समान है। हिन्दी में वे कबीर और निराला तथा उर्दू में मीर और नज़ीर की परम्परा को विकसित करनेवाले शायर हैं। जीवन का दर्शन और जीवन का राग उनकी रचनाओं को बिलकुल नया सौन्दर्य प्रदान करता है। उर्दू शायरी के प्रचलित विन्यास को उनकी शायरी ने बड़ी हद तक हाशिए में डाल दिया है। अब्दुल बिस्मिल्लाह के शब्दों में कहें तो इंशाजी उर्दू कविता के पूरे जोगी हैं। हालाँकि रूप-सरूप, जोग-बिजोग, बिरहन, परदेशी और माया आदि का काव्य-बोध इंशा को कैसे प्राप्त हुआ, यह कहना कठिन है, फिर भी यह असन्दिग्ध है कि उर्दू शायरी की केन्द्रीय अभिरुचि से यह अलग है या कहें कि यह उनका निजी तख़य्युल है। दरअस्ल भाषा की सांस्कृतिक और रूपगत संकीर्णता से ऊपर उठकर शायरी करनेवालों की जो पीढ़ी 20वीं सदी में पाकिस्तानी उर्दू शायरी में तेज़ी से उभरी थी, उसकी बुनियाद में इंशा सरीखे शायर की ख़ास भूमिका थी।
(https://rajkamalprakashan.com/pratinidhi-kavitayen-ibne-insha.html)
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