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Koi aur Rakesh Shrimal (कोई और राकेश श्रीमाल)

Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Kolkata Pratishruti Prakashan 2021Description: 240 pISBN:
  • 9789384012328
Subject(s): DDC classification:
  • 808.81 SHA
Summary: संसार में मनुष्य बहुतेरे माध्यमों से खुद को अभिव्यक्त करता है। कभी वह अभिव्यक्ति भाषा के रूप में होती है, तो कभी अपने कर्म से, कभी वह कला के माध्यम से आत्म-प्रकटीकरण करता है; मानव द्वारा ऐसा प्रकटीकरण बड़ा गहरा माना जाता है। कदाचित यही वजह है कि रस्किन ने कला के विषय में कहा था कि ‘मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है।’ अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कला का सम्बंध मनुष्य के अन्तःकरण से है। इसी कला-जगत में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राकेश श्रीमाल ने अपनी सर्जना के माध्यम से कई बड़े साहित्यकारों, पत्रकारों, संगीतकारों, चित्रकारों व कलाप्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। कला के प्रति प्रेम ही श्रीमाल जी के सृजनशीलता की ऊर्जा है। इसी बात को थोड़ा और स्पष्ट करूँ तो जिस प्रकार चित्रकला का माध्यम रंग है, संगीत का माध्यम नाद है, उसी प्रकार उनकी रचनात्मकता का राज़ लोगों के प्रति उनका समर्पण भाव है। (https://pratishruti.in/products/koi-aur-rakesh-sreemal-by-edi-vivek-kumar-shaw)
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Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 808.81 SHA (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 008625

संसार में मनुष्य बहुतेरे माध्यमों से खुद को अभिव्यक्त करता है। कभी वह अभिव्यक्ति भाषा के रूप में होती है, तो कभी अपने कर्म से, कभी वह कला के माध्यम से आत्म-प्रकटीकरण करता है; मानव द्वारा ऐसा प्रकटीकरण बड़ा गहरा माना जाता है। कदाचित यही वजह है कि रस्किन ने कला के विषय में कहा था कि ‘मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है।’ अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कला का सम्बंध मनुष्य के अन्तःकरण से है। इसी कला-जगत में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राकेश श्रीमाल ने अपनी सर्जना के माध्यम से कई बड़े साहित्यकारों, पत्रकारों, संगीतकारों, चित्रकारों व कलाप्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। कला के प्रति प्रेम ही श्रीमाल जी के सृजनशीलता की ऊर्जा है। इसी बात को थोड़ा और स्पष्ट करूँ तो जिस प्रकार चित्रकला का माध्यम रंग है, संगीत का माध्यम नाद है, उसी प्रकार उनकी रचनात्मकता का राज़ लोगों के प्रति उनका समर्पण भाव है।

(https://pratishruti.in/products/koi-aur-rakesh-sreemal-by-edi-vivek-kumar-shaw)

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