Swarna: Tagore ki alpcharchit vidushi bahan ki jeewani (स्वर्णा: टैगोर की अल्पचर्चित विदुषी बहन की जीवनी)
Material type:
- 9780143463368
- 891.434 VER
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.434 VER (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 008613 |
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891.434 TRI Sanskriti aur samvedana | 891.434 UPA Hindi ka vishwa sandarbha | 891.434 VAJ Mahakavi Soordas: Soordas ke kavya, jeevan aur bhakti ka antarang vivechan | 891.434 VER Swarna: Tagore ki alpcharchit vidushi bahan ki jeewani (स्वर्णा: टैगोर की अल्पचर्चित विदुषी बहन की जीवनी) | 891.434 VIS Endrikta aur muktibodh (ऐन्द्रिकता और मुक्तिबोध) | 891.43409 SHU Chintamani | 891.435 PRA Sampurna nibandh |
“स्वर्णा या “न’दीदी” यानि स्वर्णकुमारी देवी, जीवनपर्यंत साहित्यिक और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के प्रति समर्पित रहीं। उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, व्यंग्य, नाटक, वैज्ञानिक लेख जैसी विविध विधाओं में लिखा। यह जीवनी ऐसी विलक्षण महिला के कार्यकलापों को जानने, चुनौतीपूर्ण समय में उनके रचनात्मक योगदानों को रेखाँकित कर, भारतीय समाज में, विशेषकर महिलाओं के उत्थान की गतिविधियों को सामने लाने का एक प्रयास है।
स्त्री दाय को अपनी पैनी दृष्टि से पहचानकर बांग्ला की इस विदुषी से हिन्दी संसार को परिचित करवाने का सम्भवत: यह पहला प्रयास राजगोपाल सिंह वर्मा द्वारा इस शोधपरक जीवनी स्वर्णा के माध्यम से किया गया। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसकी पठनीयता और धाराप्रवाहता से सहज उनके जीवन का परिदृश्य सामने उभरकर आ जाता है।
‘बंगाल की अपने समय की सबसे विलक्षण महिला जिसने वहाँ की स्त्री जाति के उत्थान के लिए वह सब किया जो उससे बन पड़ा’ —अमृत बाजार पत्रिका, स्वर्णकुमारी देवी को श्रद्धाँजलि देते हुए”
(https://www.penguin.co.in/book/swarna-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BE/)
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