Juloos
Material type:
- 9789388933681
- 891.433 REN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.433 REN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 008231 |
फणीश्वरनाथ रेणु का सम्पूर्ण साहित्य राजनीति की मज़बूत बुनियाद पर स्थित है। उन्होंने सामाजिक बदलाव में साहित्य की भूमिका को कभी राजनीति से कमतर नहीं माना। ‘मैला आँचल’ और 'परती परिकथा’ की भाँति 'जुलूस’ उपन्यास पूर्णिया ज़िले में नए बस रहे एक गाँव नबीनगर और पूर्व-प्रतिष्ठित गोडियर गाँव के पारस्परिक सम्बन्धों और संघर्षों की कथा है।
इस उपन्यास में ‘रेणु’ ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् होनेवाले दंगों के कारण पूर्वी बंगाल से विस्थापित होकर भारत आए लोगों के दु:ख-दर्द की गाथा को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। साथ ही उन्होंने यह भी दिखाना चाहा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के चौदह-पन्द्रह साल बाद भी गाँव में कितना अन्धकार, अन्धविश्वास, ग़रीबी और भुखमरी आदि व्याप्त है और लोग अनेक जटिलताओं में फँसे हुए हैं। एक संघर्षधर्मी सामाजिक चेतना तथा सामन्ती मूल्यों एवं लोगों के प्रति प्रतिरोध की भावना 'रेणु' के लगभग सभी उपन्यासों में मिलती है। ऐसा इस उपन्यास में भी देखने को मिलेगा। साथ ही माटी और मानुष के लगाव की इस रागात्मक कथा में पाठक को पवित्रा जैसी अविस्मरणीय किरदार देखने को मिलेगी।
(https://rajkamalprakashan.com/juloos.html)
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