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Kasap

By: Material type: TextTextPublication details: Rajkamal Prakashan New Delhi 2022Edition: 8thDescription: 312 pISBN:
  • 9788171788859
Subject(s): DDC classification:
  • 891.433 JOS
Summary: कुमाऊँनी में कसप का अर्थ है ‘क्या जाने’। मनोहर श्याम जोशी का कुरु-कुरु स्वाहा ‘एनो मीनिंग सूँ?’ का सवाल लेकर आया था, वहाँ कसप जवाब के तौर पर ‘क्या जाने’ की स्वीकृति लेकर प्रस्तुत हुआ। किशोर प्रेम की नितान्त सुपरिचित और सुमधुर कहानी को कसप में एक वृद्ध प्राध्यापक किसी अन्य (कदाचित् नायिका के संस्कृतज्ञ पिता) की संस्कृत कादम्बरी के आधार पर प्रस्तुत कर रहा है। मध्यवर्गीय जीवन की टीस को अपने पंडिताऊ परिहास में ढालकर यह प्राध्यापक मानवीय प्रेम को स्वप्न और स्मृत्याभास के बीचोबीच ‘फ्रीज’ कर देता है। कसप लिखते हुए मनोहर श्याम जोशी ने आंचलिक कथाकारों वाला तेवर अपनाते हुए कुमाऊँनी हिन्दी में कुमाऊँनी जीवन का जीवन्त चित्र आँका है। यह प्रेमकथा दलिद्दर से लेकर दिव्य तक का हर स्वर छोड़ती है लेकिन वह ठहरती हर बार उस मध्यम पर है जिसका नाम मध्यवर्ग है। एक प्रकार से मध्यवर्ग ही इस उपन्यास का मुख्य पात्र है। जिन सुधी समीक्षकों ने कसप को हिन्दी के प्रेमाख्यानों में नदी के द्वीप के बाद की सबसे बड़ी उपलब्धि ठहराया है, उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि जहाँ नदी के द्वीप का तेवर बौद्धिक और उच्चवर्गीय है, वहाँ कसप का दार्शनिक ढाँचा मध्यवर्गीय यथार्थ की नींव पर खड़ा है। इसी वजह से कसप में कथावाचक की पंडिताऊ शैली के बावजूद एक अन्य ख्यात परवर्ती हिन्दी प्रेमाख्यान गुनाहों का देवता जैसी सरसता, भावुकता और गजब की पठनीयता भी है। पाठक को बहा ले जानेवाले उसके कथा-प्रवाह का रहस्य लेखक के अनुसार यह है कि उसने इसे ‘‘चालीस दिन की लगातार शूटिंग में पूरा किया है।’’ कसप के सन्दर्भ में सिने शब्दावली का प्रयोग सार्थक है क्योंकि न केवल इसका नायक सिनेमा से जुड़ा हुआ है बल्कि कथा-निरूपण में सिनेमावत् शैली प्रयोग की गई है। 1910 की काशी से लेकर 1980 के हॉलीवुड तक की अनुगूँजों से भरा, गँवई गाँव के एक अनाथ, भावुक, साहित्य-सिनेमा अनुरागी लड़के और काशी के समृद्ध शास्त्रियों की सिरचढ़ी, खिलन्दड़ दबंग लड़की के संक्षिप्त प्रेम की विस्तृत कहानी सुनानेवाला यह उपन्यास एक विचित्र-सा उदास-उदास, मीठा-मीठा-सा प्रभाव मन पर छोड़ता है। ऐसा प्रभाव जो ठीक कैसा है, यह पूछे जाने पर एक ही उत्तर सूझता है–कसप। (https://rajkamalprakashan.com/kasap.html)
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Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 891.433 JOS (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 008208

कुमाऊँनी में कसप का अर्थ है ‘क्या जाने’। मनोहर श्याम जोशी का कुरु-कुरु स्वाहा ‘एनो मीनिंग सूँ?’ का सवाल लेकर आया था, वहाँ कसप जवाब के तौर पर ‘क्या जाने’ की स्वीकृति लेकर प्रस्तुत हुआ। किशोर प्रेम की नितान्त सुपरिचित और सुमधुर कहानी को कसप में एक वृद्ध प्राध्यापक किसी अन्य (कदाचित् नायिका के संस्कृतज्ञ पिता) की संस्कृत कादम्बरी के आधार पर प्रस्तुत कर रहा है। मध्यवर्गीय जीवन की टीस को अपने पंडिताऊ परिहास में ढालकर यह प्राध्यापक मानवीय प्रेम को स्वप्न और स्मृत्याभास के बीचोबीच ‘फ्रीज’ कर देता है।

कसप लिखते हुए मनोहर श्याम जोशी ने आंचलिक कथाकारों वाला तेवर अपनाते हुए कुमाऊँनी हिन्दी में कुमाऊँनी जीवन का जीवन्त चित्र आँका है। यह प्रेमकथा दलिद्दर से लेकर दिव्य तक का हर स्वर छोड़ती है लेकिन वह ठहरती हर बार उस मध्यम पर है जिसका नाम मध्यवर्ग है। एक प्रकार से मध्यवर्ग ही इस उपन्यास का मुख्य पात्र है। जिन सुधी समीक्षकों ने कसप को हिन्दी के प्रेमाख्यानों में नदी के द्वीप के बाद की सबसे बड़ी उपलब्धि ठहराया है, उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि जहाँ नदी के द्वीप का तेवर बौद्धिक और उच्चवर्गीय है, वहाँ कसप का दार्शनिक ढाँचा मध्यवर्गीय यथार्थ की नींव पर खड़ा है। इसी वजह से कसप में कथावाचक की पंडिताऊ शैली के बावजूद एक अन्य ख्यात परवर्ती हिन्दी प्रेमाख्यान गुनाहों का देवता जैसी सरसता, भावुकता और गजब की पठनीयता भी है। पाठक को बहा ले जानेवाले उसके कथा-प्रवाह का रहस्य लेखक के अनुसार यह है कि उसने इसे ‘‘चालीस दिन की लगातार शूटिंग में पूरा किया है।’’ कसप के सन्दर्भ में सिने शब्दावली का प्रयोग सार्थक है क्योंकि न केवल इसका नायक सिनेमा से जुड़ा हुआ है बल्कि कथा-निरूपण में सिनेमावत् शैली प्रयोग की गई है।

1910 की काशी से लेकर 1980 के हॉलीवुड तक की अनुगूँजों से भरा, गँवई गाँव के एक अनाथ, भावुक, साहित्य-सिनेमा अनुरागी लड़के और काशी के समृद्ध शास्त्रियों की सिरचढ़ी, खिलन्दड़ दबंग लड़की के संक्षिप्त प्रेम की विस्तृत कहानी सुनानेवाला यह उपन्यास एक विचित्र-सा उदास-उदास, मीठा-मीठा-सा प्रभाव मन पर छोड़ता है। ऐसा प्रभाव जो ठीक कैसा है, यह पूछे जाने पर एक ही उत्तर सूझता है–कसप।

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