Idea se parde tak: kaise sochta hai film ka lekhak? (आइडिया से परदे तक: कैसे सोचता है फिल्म का लेखक?)
Material type:
- 9789389598834
- 808.23 SIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 808.23 SIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 008243 |
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780.954 MIT Sangeet samrat Taansen | 791.43 SHA Cinema: ek duniya samanantar (सिनेमा : एक दुनिया समानांतर) | 792.028092 VAN Amitabh Bachchan | 808.23 SIN Idea se parde tak: kaise sochta hai film ka lekhak? (आइडिया से परदे तक: कैसे सोचता है फिल्म का लेखक?) | 808.5 SIN Aao banen safal vakta | 808.81 AKH Tarkash | 808.81 SHA Koi aur Rakesh Shrimal (कोई और राकेश श्रीमाल) |
यह किताब सिनेमा के एक सहयोगी पेशेवर के रूप में फ़िल्म-लेखक के कामकाज का सिलसिलेवार वृत्तान्त प्रस्तुत करती है। फ़िल्म का अपना तौर-तरीक़ा है, जिसके दायरे में रहकर ही फ़िल्म-लेखक को काम करना पड़ता है। इसलिए एक हद तक अपनी स्वायत भूमिका रखने के बावजूद उसको अपना काम करते हुए निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, कैमरा-निर्देशक आदि अनेक सहयोगी पेशेवरों के साथ संगति का ख़याल रखना पड़ता है। ज़ाहिर है, फ़िल्म-लेखन जिस हद तक कला है, उसी हद तक शिल्प और तकनीक भी। एक सफल फ़िल्म लेखक बनने के लिए जितनी ज़रूरत प्रतिभा की है, उतनी ही परिश्रम, कौशल, अनुशासन और समन्वय की। सबसे लोकप्रिय कला के रूप में अपनी जगह बना चुका सिनेमा आज एक महत्त्वपूर्ण इंडस्ट्री भी है जो लाखों-लाख युवाओं के सपनों का केन्द्र बन चुकी है। ऐसे में फ़िल्म-लेखन की दिशा में कदम बढ़ाने वालों के लिए यह किताब एक अपरिहार्य हैण्डबुक की तरह है।
(https://rajkamalprakashan.com/idea-se-parde-tak-kaise-sochta-hai-film-ka-lekhak.html)
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