Koi hai jo: aur anya kahaniyan
Material type:
- 9789360861803
- 891.433 MIS
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.433 MIS (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 008218 |
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891.433 MIS Zindagi muskarayee (ज़िन्दगी मुसकरायी) | 891.433 MIS Karvan aage Barhe (कारवाँ आगे बढ़े ) | 891.433 MIS Kshana boley kana muskaye (क्षण बोले कण मुसकाये) | 891.433 MIS Koi hai jo: aur anya kahaniyan | 891.433 MIT Sant na baandhe ganthari | 891.433 MRI Dark horse: ek ankahi dastaan (डार्क हॉर्स: एक अनकही दास्ताँ) | 891.433 MUD Bayaan (बयान) |
एक बड़े सामाजिक-राजनीतिक विज़न के साथ लिखी जाती कोई है जो की कहानियाँ भारतीय उजाड़ से गुज़रने की यातना देती हैं जिसमें एक प्रलम्बित आलाप की साँसहीनता होती है जो एक मन्द्र भाषिक नितान्तता और सांगीतिकता में ढलती जाती है : इसमें ढलती और अकेला छोड़ जाती साँझ का नागरिक अवसाद होता है और फैलते तिमिर का संशय। पात्र-प्रमुख और अन्तर्वस्तुमयी कथाएँ कहते हुए देवी प्रसाद मिश्र दुविधा और द्वन्द्व की अन्तर्यात्रा को रुकने नहीं देते और किसी भी पॉपुलिस्ट अन्त का निषेध करते हैं। देवी अपनी कहानियों में प्रकट और अप्रकट हिंसा को और हवाओं में घूमती भय और संशय की थरथराहट को और उजाले को ग्रसती अँधेरे की छायाओं को विचलित करनेवाले मर्म के साथ बुनते हैं कि जैसे भारतीय हताशा को कहने वाली किसी फ़िल्म को वह फ़्रेम-दर-फ़्रेम विनिर्मित कर रहे हों। कहन की प्रविधि में प्राय: आत्मकथात्मक होते देवी क्षत-विक्षत होती भारतीय नागरिकता के अनन्य प्रवक्ता हैं। तमाम तरह की त्रासदियों और ख़ून में लिथड़ते नैरेटिव के बावजूद देवी की कहानियों को ट्रैजिक विज़न में परिघटित करना सरलीकरण होगा। उन्हीं की कहानी सुलेमान कहाँ है की तर्ज़ पर कहा जा सकता है कि देवी की कहानियाँ पूछती हैं कि कहाँ हैं न्यायसम्मत, विवेकसम्मत, समतामूलक, भयमुक्त और अहिंसक संरचनाएँ। कवि देवी प्रसाद मिश्र की कहानियाँ कविता और उसके कारोबार से दूर नहीं हो पातीं—यह कथाओं की अन्तर्लय में ही नहीं, उनकी वस्तु और काव्योन्मुख भाषा में भी विपुलता के साथ उपस्थित रहता है। इस संधि को देवी ने अपनी किताब मनुष्य होने के संस्मरण में बहुधा प्रकट कर दिया था जो इन लम्बी कहानियों में विदीर्ण करने वाली आयामिता, प्रवेग, आवेश और अफ़सुर्दगी के साथ मौजूद है। हिन्दी कहानी के प्रतिष्ठानों और उसके हो-हल्ले, समीकरण-गणित से बाहर बैठे अदूषित देवी की कथाओं को पढ़ना उत्पीड़न ही नहीं, अवरुद्ध परिवर्तन से उठती विकलता को जानना-समझना भी है।
(https://rajkamalprakashan.com/koi-hai-jo-aur-anya-kahaniyan.html)
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