Bhakti kavya-parampara aur Kabir (भक्ति काव्य-परम्परा और कबीर) (Record no. 9251)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789394902282 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.434 |
Item number | SIN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Singh, Namwar |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Bhakti kavya-parampara aur Kabir (भक्ति काव्य-परम्परा और कबीर) |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc. | Rajkamal Prakashan |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Date of publication, distribution, etc. | 2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 279 p. |
365 ## - TRADE PRICE | |
Price type code | INR |
Price amount | 995.00 |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | सम्पूर्ण भक्ति कविता को एक ही आँख से देखने और एक ही तराजू में तौलनेवालों की भारी भीड़ है। इस भीड़ के सदस्य भक्ति कविता के प्रगतिशील तत्त्वों और यथास्थितिवादी तत्त्वों को अलगाने का विरोध करते हैं। ऐसे लोग यह देखने में असमर्थ हैं कि भक्ति कविता के क्रान्तिकारी तत्त्वों का विरोध करनेवाली सामाजिक शक्तियों की संख्या बहुत बड़ी है।<br/><br/>मुक्तिबोध संगी नामवर सिंह इस पूरी राजनीति के गुब्बारे में सुई चुभोते हैं और भक्ति कविता की दूसरी परम्परा के पक्ष में प्रभावी ढंग से खड़े होते हैं।<br/><br/>बीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशक और इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में उन्होंने भक्ति, भक्ति आन्दोलन और कबीर पर पुनः-पुनः विचार किया। वे बताते हैं कि भक्ति आन्दोलन के साथ ही आधुनिक भाषाओं ने पहली बार साहित्यिक जीवन प्राप्त किया। भक्ति ने कविता की भाषा को क्रान्तिकारी ढंग से बदला। भक्ति-कविता ने काव्यभाषा का जनतांत्रीकरण ही नहीं किया, उसे रचनात्मक नवाचारों से गूँथ दिया।<br/><br/>कबीर की क्रान्तिकारी विरासत को अक्सर आधुनिक यथास्थितिवादियों व सुधारवादियों ने एक खास तरह से संकुचित किया। हिन्दू-मुसलमान एकता का लक्ष्य रखनेवाले विचारकों और नेताओं ने एक खास तरह से उन्हें समन्वयवाद में सीमित करने की कोशिश की। नामवर जी कबीर के रास्ते को अन्य मार्गों से अलग निरूपित करते हुए कबीर की क्रान्तिकारिता को इस प्रकरण में भी पुनः स्थापित करने की कोशिश करते हैं।<br/><br/>आधुनिक साम्प्रदायिकता के विकास ने भक्ति कविता की प्रासंगिकता में एक नया आयाम जोड़ा है और उसके मानवीय आदर्शों के मूल्य को कई गुना बढ़ा दिया है। इस संदर्भ में भी नामवर जी के भक्ति-कविता संबंधी विचारों को वापस देखने की जरूरत है।<br/><br/>इस पुस्तक में उनके भक्ति कविता और कबीर सम्बन्धी आलेखों, व्याख्यानों और साक्षात्कार-अंशों को संकलित किया गया है।<br/><br/>(https://rajkamalprakashan.com/bhakti-kavya-parampara-aur-kabir.html) |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Literary criticism |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Criticism--Hindi |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Book |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Bill No | Bill Date | Home library | Current library | Shelving location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Accession Number | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | Hindi Book | COR/IN/25/11909 | 15-03-2025 | Indian Institute of Management LRC | Indian Institute of Management LRC | General Stacks | 03/27/2025 | CBS Publishers & Distributors Pvt. Ltd. | 691.53 | 891.434 SIN | 008216 | 03/27/2025 | 1 | 995.00 | 03/27/2025 | Book |