Sanpon ki sabha (Record no. 9160)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789348229281 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.437 |
Item number | TRI |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Tripathi, Anoop Mani |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Sanpon ki sabha |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc. | Lokbharti Prakashan |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Date of publication, distribution, etc. | 2024 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 149 p. |
365 ## - TRADE PRICE | |
Price type code | INR |
Price amount | 250.00 |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | अनूप मणि त्रिपाठी की व्यंग्य रचनाओं को पढ़ने के पहले मुझे लगता था कि हर व्यंग्य का स्वाद एक जैसा होता है। उनके इस संग्रह को आद्योपांत पढ़ने के बाद समझ में आया कि खुद उनकी हर रचना का स्वाद अलग है। राजनीति के विद्रूप, निष्ठुरता और नंगई को जिस तरह गले से पकड़कर वे अनावृत करते और उस पर चोट करते हैं वह अद्वितीय है। उनका व्यंग्य औरों से इस मामले में अलग और मूल्यवान है कि वह पाठक की समझ पर लानत ही नहीं भेजता, उसे समझदार भी बनाता है। जनता का ध्यान कैसे असली और ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर नकली और काल्पनिक मुद्दों में उलझाया जाता है इसके एक से एक नमूने आपको कदम कदम पर मिलते हैं। 'बहती लाशों की कहानियाँ' पढ़कर लगता है व्यंग्य नहीं पढ़ रहे, कोई हॉरर फिल्म देख रहे हैं। भाषा की विदग्धता का उदाहरण देने से इसलिए बच रहा हूँ कि आख़िर कितने उदाहरण देंगे। फिर भी बानगी के लिए एक उदाहरण दे रहा हूँ। शीर्षक है—‘साँपों की सभा’।<br/><br/>‘वह धारा प्रवाह बोलता रहा, ‘बस हमें सपने और भय दोनों साथ-साथ दिखाने होंगे! अच्छे-अच्छे शब्दों के चयन पर ध्यान केन्द्रित करना होगा!’ उसने चूहे की डेड बॉडी पर एक नजर मारी। फिर बोला, ‘देखिए! कैसे हमारे रंग में यह रँगने के लिए तैयार हो गया!’ वह आगे बोला, ‘जहर भरिए, खूब भरिए, मगर उपदेश की शक्ल में...आप देखेंगे कि उपदेश स्वतः उन्माद में बदलता जाएगा...बस फैलकर हर जगह हमें अपना काम लगातार करते रहना है। क्या समझे!’ एक बूढ़ा साँप जोश में बोला, ‘समझ गए! हमें लोकतंत्र को लोकतांत्रिक ढंग से खत्म करना है...’<br/><br/>दरअसल इन रचनाओं की शैलीगत व्याप्ति इतनी अधिक है कि इन्हें केवल व्यंग्य के खाँचे में रखना इनकी मारक क्षमता को कम करके आँकना होगा। यह कोई और विधा है जिसकी तिलमिलाहट अन्दर तक कँपकँपी पैदा कर देती है और जिसे उपयुक्त नाम दिया जाना अभी बाकी है। हाँ, जब तक इसका उपयुक्त नामकरण न हो जाए तब तक व्यंग्य से काम चलाना पड़ेगा। इन रचनाओं से गुजरने के बाद मेरा मानना है कि अनूप मणि त्रिपाठी आज की मारक व्यंग्य विधा के सर्वाधिक सशक्त हस्ताक्षर हैं।<br/><br/>—शिवमूर्ति<br/><br/>(https://rajkamalprakashan.com/sanpon-ki-sabha.html) |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi satire and humor |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Book |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Bill No | Bill Date | Home library | Current library | Shelving location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Accession Number | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | Hindi Book | COR/IN/25/11909 | 15-03-2025 | Indian Institute of Management LRC | Indian Institute of Management LRC | General Stacks | 03/27/2025 | CBS Publishers & Distributors Pvt. Ltd. | 173.75 | 891.437 TRI | 008162 | 03/27/2025 | 1 | 250.00 | 03/27/2025 | Book |