Meri ghumakkari evam anya (मेरी घुमक्कड़ी एवं अन्य निबंध)
Ransubhe, Suryanarayan
Meri ghumakkari evam anya (मेरी घुमक्कड़ी एवं अन्य निबंध) - Kolkata Pratishruti Prakashan 2021 - 220 p.
हिंदी के प्रख्यात विद्वान। मराठी-हिंदी के सेतु-निर्माण का मूलभूत कार्य। संघर्षशील जीवन। दलित-प्रगतिशील वैचारिकी को आगे बढ़ाने वाले। पढ़ने-लिखने और घूमने के विश्वासी, संवाद-अंतर्क्रिया हेतु सदैव प्रयत्नशील। वर्ष 2018 में 3 खंडों की रचनावली प्रकाशित। अनुवाद और मौलिक ग्रंथों के लिए कई पुरस्कार।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ ः समीक्षात्मक ः आधुनिक मराठी साहित्य का प्रवृत्तिमूलक इतिहास (1976), कहानीकार कमलेश्वर ः संदर्भ और प्रकृति (1977), देश विभाजन और हिंदी कथा-साहित्य (1987), दलित साहित्य ः स्वरूप और संवेदना (2009), अन्य ः अनुवाद का समाज शास्त्र (2009), डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (1991), पत्रकार डॉ. भीमराम आंबेडकर (2010); अनुवाद (मराठी से हिंदी) ः यादों के पंछी, प्र. ई. सोनकांबले (1983), अक्करकाशी, शरण कुमार लिंबाले (1991), उठाईगीर, लक्ष्मण गायकवाड (1995), समाज परिवर्तन की दिशाएँ, डॉ. जे. एम. बाघमारे (1998), मनुष्य और धर्मचिंतन, डॉ. राव साहेब कसबे (2009), टीका स्वयंवर, भालचंद नेमाड़े (2016), सत्ता समाज और संस्कृति, डॉ. जे. एम. वाघमारे (2021); अनुवाद (हिंदी से मराठी) ः झूठा-सच, यशपाल (2004), संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र, गोपीचंद नारंग (2005)
एक आलोचक और आचार्य के रूप में डॉ. सूर्यनारायण रणसुभे का अधिकांश लेखन अपने से अधिक दूसरों के लिखे पर ध्यान देने वाला रहा है। प्रसन्नता है कि उन्होंने प्रस्तुत निबंध-संग्रह में अपने अनुभव जगत तथा संचित ज्ञानराशि का सुंदर निवेश कर अपने पाठकों को विस्मय-सुख से भर दिया है।
‘मेरी घुमक्कड़ी एवं अन्य निबंध’ पुस्तक के समस्त निबंध सर्वथा ताजे हैं, विगत दो-चार वर्षों की अवधि में लिखे। संग्रह के सर्वाधिक निबंध सामान्य एवं तात्विक मूल्य वाले विषयों यथा दाल, वेशभूषा, केशभूषा, स्नान, पाककला, नींद, स्वप्न, मन, घर आदि पर हैं। ये लेख विवरणात्मक मात्र नहीं, इन्हें एक मौज में इस रूप लिखा गया है कि जगह-जगह उनका व्यंग्य-बोध, विनोद और परिहास का पुट आनंद दे जाता है। दूसरे वर्ग के निबंध विवेचनात्मक और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को वहन करने वाले हैं और खासे समृद्ध हैं। तीसरे वर्ग में यात्रा एवं संस्मरणात्मक निबंधों को रखा गया है जो लेखक की जीवनदृष्टि, जीवनशैली और उनके रोमांच भाव से परिपुष्ट हैं। कुल 34 निबंधों की इस माला के अंतिम तीन पुष्प राष्ट्र के तीन महापुरुषों—महात्मा गाँधी, डॉ. अंबेडकर और डॉ. लोहिया को समर्पित हैं। कुल मिलाकर इन निबंध-मुकुलों की सुवास चित्त को उदात्तता-निर्मलता प्रदान करने वाली है।
निश्चय ही आधुनिक तपस्वी मनीषी डॉ. सूर्यनारायण रणसुभे की यह पुस्तक साहित्यिक प्रतिमान का एक नया इतिहास रचेगी।
(https://pratishruti.in/products/meri-ghumakkari-evam-anya-nibandh)
9789384012298
Hindi essays
Personal essays
891.433 / RAN
Meri ghumakkari evam anya (मेरी घुमक्कड़ी एवं अन्य निबंध) - Kolkata Pratishruti Prakashan 2021 - 220 p.
हिंदी के प्रख्यात विद्वान। मराठी-हिंदी के सेतु-निर्माण का मूलभूत कार्य। संघर्षशील जीवन। दलित-प्रगतिशील वैचारिकी को आगे बढ़ाने वाले। पढ़ने-लिखने और घूमने के विश्वासी, संवाद-अंतर्क्रिया हेतु सदैव प्रयत्नशील। वर्ष 2018 में 3 खंडों की रचनावली प्रकाशित। अनुवाद और मौलिक ग्रंथों के लिए कई पुरस्कार।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ ः समीक्षात्मक ः आधुनिक मराठी साहित्य का प्रवृत्तिमूलक इतिहास (1976), कहानीकार कमलेश्वर ः संदर्भ और प्रकृति (1977), देश विभाजन और हिंदी कथा-साहित्य (1987), दलित साहित्य ः स्वरूप और संवेदना (2009), अन्य ः अनुवाद का समाज शास्त्र (2009), डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (1991), पत्रकार डॉ. भीमराम आंबेडकर (2010); अनुवाद (मराठी से हिंदी) ः यादों के पंछी, प्र. ई. सोनकांबले (1983), अक्करकाशी, शरण कुमार लिंबाले (1991), उठाईगीर, लक्ष्मण गायकवाड (1995), समाज परिवर्तन की दिशाएँ, डॉ. जे. एम. बाघमारे (1998), मनुष्य और धर्मचिंतन, डॉ. राव साहेब कसबे (2009), टीका स्वयंवर, भालचंद नेमाड़े (2016), सत्ता समाज और संस्कृति, डॉ. जे. एम. वाघमारे (2021); अनुवाद (हिंदी से मराठी) ः झूठा-सच, यशपाल (2004), संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र, गोपीचंद नारंग (2005)
एक आलोचक और आचार्य के रूप में डॉ. सूर्यनारायण रणसुभे का अधिकांश लेखन अपने से अधिक दूसरों के लिखे पर ध्यान देने वाला रहा है। प्रसन्नता है कि उन्होंने प्रस्तुत निबंध-संग्रह में अपने अनुभव जगत तथा संचित ज्ञानराशि का सुंदर निवेश कर अपने पाठकों को विस्मय-सुख से भर दिया है।
‘मेरी घुमक्कड़ी एवं अन्य निबंध’ पुस्तक के समस्त निबंध सर्वथा ताजे हैं, विगत दो-चार वर्षों की अवधि में लिखे। संग्रह के सर्वाधिक निबंध सामान्य एवं तात्विक मूल्य वाले विषयों यथा दाल, वेशभूषा, केशभूषा, स्नान, पाककला, नींद, स्वप्न, मन, घर आदि पर हैं। ये लेख विवरणात्मक मात्र नहीं, इन्हें एक मौज में इस रूप लिखा गया है कि जगह-जगह उनका व्यंग्य-बोध, विनोद और परिहास का पुट आनंद दे जाता है। दूसरे वर्ग के निबंध विवेचनात्मक और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को वहन करने वाले हैं और खासे समृद्ध हैं। तीसरे वर्ग में यात्रा एवं संस्मरणात्मक निबंधों को रखा गया है जो लेखक की जीवनदृष्टि, जीवनशैली और उनके रोमांच भाव से परिपुष्ट हैं। कुल 34 निबंधों की इस माला के अंतिम तीन पुष्प राष्ट्र के तीन महापुरुषों—महात्मा गाँधी, डॉ. अंबेडकर और डॉ. लोहिया को समर्पित हैं। कुल मिलाकर इन निबंध-मुकुलों की सुवास चित्त को उदात्तता-निर्मलता प्रदान करने वाली है।
निश्चय ही आधुनिक तपस्वी मनीषी डॉ. सूर्यनारायण रणसुभे की यह पुस्तक साहित्यिक प्रतिमान का एक नया इतिहास रचेगी।
(https://pratishruti.in/products/meri-ghumakkari-evam-anya-nibandh)
9789384012298
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