Gudiya rang bharegi: gudiya ke khel
Maheshwari, Ashok
Gudiya rang bharegi: gudiya ke khel - New Delhi Rajkamal Prakashan 2023 - 21 p.
‘गुड़िया रंग भरेगी’ शृंखला एक दादा द्वारा अपनी प्यारी-दुलारी नन्ही पोती के लिए लिखी गई कविताओं की शृंखला है। इस शृंखला की पुस्तक ‘गुड़िया के खेल’ में एक दादा की नज़र से पोती की शरारतों, उसके खेल, उसकी तमाम अठखेलियों और उसकी सजधज को सुंदर कविता पंक्तियों के द्वारा व्यक्त किया गया है। एक प्यारी बच्ची की खिलखिलाहटें कैसे पूरे घर-परिवार को रौशन रखती हैं—इन कविताओं को पढ़ कर पता चलता है। एक दादा के प्यार-दुलार और ममत्व को संप्रेषित करने वाले ये कविताएं पढ़ने वाले के मन को मोह लेती हैं। मासूमियत, निश्छलता और स्नेह से भरी ये कविताएं पढ़ने वालों को तमाम रंगों से भर देती हैं।
यह सिर्फ़ कविताओं की ही नहीं बल्कि रंगों की भी किताब है। कविताओं वाली यह कलरिंग बुक बच्चों को कविताओं के साथ साथ कलर करने की खुशी भी देगी।
पुस्तक के चित्र और चित्रों के बीच कविताएं उसे आकर्षक और रोचक बनाती हैं।
बच्चों के लिए एक सुंदर उपहार।
(https://rajkamalprakashan.com/gudiya-rang-bharegi-gudiya-ke-khel.html)
9788119835676
Hindi poetry
891.431 / MAH
Gudiya rang bharegi: gudiya ke khel - New Delhi Rajkamal Prakashan 2023 - 21 p.
‘गुड़िया रंग भरेगी’ शृंखला एक दादा द्वारा अपनी प्यारी-दुलारी नन्ही पोती के लिए लिखी गई कविताओं की शृंखला है। इस शृंखला की पुस्तक ‘गुड़िया के खेल’ में एक दादा की नज़र से पोती की शरारतों, उसके खेल, उसकी तमाम अठखेलियों और उसकी सजधज को सुंदर कविता पंक्तियों के द्वारा व्यक्त किया गया है। एक प्यारी बच्ची की खिलखिलाहटें कैसे पूरे घर-परिवार को रौशन रखती हैं—इन कविताओं को पढ़ कर पता चलता है। एक दादा के प्यार-दुलार और ममत्व को संप्रेषित करने वाले ये कविताएं पढ़ने वाले के मन को मोह लेती हैं। मासूमियत, निश्छलता और स्नेह से भरी ये कविताएं पढ़ने वालों को तमाम रंगों से भर देती हैं।
यह सिर्फ़ कविताओं की ही नहीं बल्कि रंगों की भी किताब है। कविताओं वाली यह कलरिंग बुक बच्चों को कविताओं के साथ साथ कलर करने की खुशी भी देगी।
पुस्तक के चित्र और चित्रों के बीच कविताएं उसे आकर्षक और रोचक बनाती हैं।
बच्चों के लिए एक सुंदर उपहार।
(https://rajkamalprakashan.com/gudiya-rang-bharegi-gudiya-ke-khel.html)
9788119835676
Hindi poetry
891.431 / MAH