Bhartiya samajshastra (भारतीय समाजशास्त्र)
Bhartiya samajshastra (भारतीय समाजशास्त्र)
- Jaipur Rawat Publications 2024
- 258 p.
प्रस्तुत पुस्तक में भारत में समाजशास्त्र द्वारा पिछली एक सदी में तय की गई यात्रा के विभिन्न पड़ावों और विशेष रूप से इस अनुशासन से जुड़े विभिन्न सरोकारों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। भारत में समाजशास्त्र के अभ्यास, इसकी व्यापकता एवं गहराई का परिचय देने में उपयोगी 15 आलेखों का पुस्तकाकार प्रस्तुतिकरण काफी संतोष की बात है।
भारतीय समाजशास्त्रीय चिन्तन से जुड़े कई पहलू हैं जिन्हें विषयवस्तु के हिसाब से विभाजित कर पुस्तक को तीन खंडों में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक के पहले खंड के लेखों का सरोकार भारत में समाजशास्त्र विषय के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं से है। इस खंड में विशेष रूप से भारत में इस विषय के विकास के प्रक्षेपपथ के बारे में समझ बनाने पर फोकस किया गया है। पुस्तक के दूसरे खंड का सरोकार भारतीय समाज के अध्ययन के कुछ प्रमुख प्रक्षेत्रों को लेकर है। इस खंड में समाजशास्त्र के कुछ उप-अनुशासनों जैसे, पाठ्यपुस्तकों का समाजशास्त्र, साहित्य और समाजशास्त्र, अवकाश एवं पर्यटन का समाजशास्त्र, प्रतिरोध का समाजशास्त्र, कानून का समाजशास्त्र आदि पर आधारित लेखों का संकलन किया गया है। पुस्तक के तीसरे खंड में भारतीय समाजशास्त्र को मिल रही चुनौतियों एवं इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करने वाले लेखों को शामिल किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक की संकल्पना और इसमें शामिल आलेखों का संकलन इस आधार पर किया गया है कि पाठक को भारत में एक अनुशासन के रूप में समाजशास्त्र के विकास से जुड़े विभिन्न सरोकारों की वृहद् दृष्टि प्राप्त हो सके।
(https://www.rawatbooks.com/sociology/Bhartiya-Samajshastra)
9788131613627
Sociology--India
indian sociology
301.0954 / KUM
प्रस्तुत पुस्तक में भारत में समाजशास्त्र द्वारा पिछली एक सदी में तय की गई यात्रा के विभिन्न पड़ावों और विशेष रूप से इस अनुशासन से जुड़े विभिन्न सरोकारों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। भारत में समाजशास्त्र के अभ्यास, इसकी व्यापकता एवं गहराई का परिचय देने में उपयोगी 15 आलेखों का पुस्तकाकार प्रस्तुतिकरण काफी संतोष की बात है।
भारतीय समाजशास्त्रीय चिन्तन से जुड़े कई पहलू हैं जिन्हें विषयवस्तु के हिसाब से विभाजित कर पुस्तक को तीन खंडों में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक के पहले खंड के लेखों का सरोकार भारत में समाजशास्त्र विषय के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं से है। इस खंड में विशेष रूप से भारत में इस विषय के विकास के प्रक्षेपपथ के बारे में समझ बनाने पर फोकस किया गया है। पुस्तक के दूसरे खंड का सरोकार भारतीय समाज के अध्ययन के कुछ प्रमुख प्रक्षेत्रों को लेकर है। इस खंड में समाजशास्त्र के कुछ उप-अनुशासनों जैसे, पाठ्यपुस्तकों का समाजशास्त्र, साहित्य और समाजशास्त्र, अवकाश एवं पर्यटन का समाजशास्त्र, प्रतिरोध का समाजशास्त्र, कानून का समाजशास्त्र आदि पर आधारित लेखों का संकलन किया गया है। पुस्तक के तीसरे खंड में भारतीय समाजशास्त्र को मिल रही चुनौतियों एवं इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करने वाले लेखों को शामिल किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक की संकल्पना और इसमें शामिल आलेखों का संकलन इस आधार पर किया गया है कि पाठक को भारत में एक अनुशासन के रूप में समाजशास्त्र के विकास से जुड़े विभिन्न सरोकारों की वृहद् दृष्टि प्राप्त हो सके।
(https://www.rawatbooks.com/sociology/Bhartiya-Samajshastra)
9788131613627
Sociology--India
indian sociology
301.0954 / KUM