Vatayan
Material type: TextPublication details: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd New Delhi 2013Description: 92 pISBN:- 9788183614290
- 891.43 SHI
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.43 SHI (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Checked out | 01/31/2025 | 006107 |
Browsing Indian Institute of Management LRC shelves, Shelving location: General Stacks, Collection: Hindi Book Close shelf browser (Hides shelf browser)
891.43 SAT Badlav ke bol | 891.43 SHA Jaisa tum chaho | 891.43 SHA Chuppi ki salib par | 891.43 SHI Vatayan | 891.43 SIN Sach pyar aur thodi si shararat | 891.43 SIN Kashi ka aasi | 891.43 SIN Kitabnama |
'वातायन' कथाकार शिवानी की प्रतिभा का एक अलग आयाम है। दैनिक 'स्वतंत्र भारत' में प्रति सप्ताह प्रकाशित होनेवाले उनके इस स्तम्भ के लिए एक बड़ा पाठक समुदाय प्रतीक्षा किया करता था।
इन आलेखों में प्रवाहित जीवन की छवियाँ आज भी उद्वेलित करती हैं। बिना कोई पारिश्रमिक लिये हड्डी बिठानेवाला, चमचमाती मोटरों में चलनेवाले, महँगे होटलों में डिनर खानेवाले लोग और सड़कों पर एक-एक दाने को तरसते भिखारी—आज भी ये चित्र पुराने नहीं पड़े हैं।
इसके अलावा अनेक पुरानी यादें और खट्टे-मीठे अनुभव भी इन आलेखों में पिरोए गए हैं; और सबसे ध्यानाकर्षक है शिवानी जी की गहरी संवेदना और अभिव्यक्ति पर पकड़ जो उनके देखे हुए को हम तक जस की तस पहुँचा देती है।
शिवानी जी के ‘वातायन’ ने अपने समय में हिन्दी पत्रकारिता में स्तम्भ-लेखन को एक नई ऊँचाई दी थी जिससे हम आज जब पत्रकारिता और मीडिया की भाषा खासतौर पर इकहरी होती जा रही है, बहुत कुछ सीख सकते हैं।
(https://rajkamalprakashan.com/vatayan.html)
There are no comments on this title.