000 | 03911nam a22002297a 4500 | ||
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_a181.12 _bSUZ |
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100 |
_aSuzuki, Nobuo _921909 |
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245 | _aWabi Sabi (वाबी साबी) | ||
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_aBhopal _bManjul Pubishing House _c2022 |
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300 | _a172 p. | ||
365 |
_aINR _b399.00 |
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520 | _aजितने बेहतर अपूर्ण व्यक्ति बन सकें, अवश्य बनें! वाबी साबी एक सरल और आसानी से समझ आने वाली शैली में हमें दिखाती है कि अपनी अपूर्णता और अस्थायित्व को स्वीकार करने से किस तरह बेहतर होने की कोशिश से बचा जा सकता है। यह तरीक़ा हमें नए सिरे से आकलन करना सिखाता है कि ‘बेहतर’ होने का अर्थ क्या है, ऐसा क्या है जो वास्तव में मायने रखता है और हम सच में क्या चाहते हैं। यह क़िताब आपको यह खोजने में सहायक हो सकती है कि आप और आपका अधूरा जीवन आपकी सोच से कहीं अच्छे हैं, तथा उसे स्वीकार करने और कुछ चीज़ों को त्यागने से आप अपने श्रेष्ठ प्रसन्नतादायक अस्तित्व की ओर लौट सकते हैं। वाबी साबी एक जापानी दर्शन है कि सभी चीज़ों को उसी तरह अधूरा, अपूर्ण और अस्थायी होना चाहिए, जैसी वे हैं - और इसमें जीवन के सभी आयाम सम्मिलित हैं, जिनमें रचनात्मक से लेकर आध्यात्मिक पहलू तक शामिल हैं। यह पुस्तक इस अवधारणा को रोज़मर्रा के जीवन के संदर्भ में प्रस्तुत करती है और वर्णन करती है कि इसे कहाँ खोजा जा सकता है, कैसे देखा जा सकता है, अपनाया जा सकता है और दैनिक जीवन में किस तरह लागू किया जा सकता है। और क्योंकि देखने के बाद करने की बारी आती है, इसलिए कुछ सरल अभ्यास और गतिविधियाँ, तथा एक सहज जीवन के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से चीज़ों को कम करने और आसपास के अंबार को घटाने के उपाय हमें और अधिक रचनात्मक होने के लिए प्रेरित करते हैं तथा हमारे मन और घरों में जगह बनाते हैं। (https://www.manjulindia.com/ProductDetail.aspx?pid=25912d73-d524-4369-82ea-fc0ff02e3785) | ||
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_aPhilosophy, Japanese _923845 |
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_aAesthetics, Japanese _923846 |
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_aBhola, Rachna 'Yamini' [Translator] _923578 |
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