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020 _a9789384012052
082 _a891.431
_bNEE
100 _aNeelkanth, Ramakant
_921896
245 _aJo kuchh hai bas hai (जो कुछ है बस है)
260 _aKolkata
_bPratishruti Prakashan
_c2019
300 _a144 p.
365 _aINR
_b380.00
520 _aजो कुछ है बस है कवि रमाकांत नीलकंठ का पहला संग्रह है। संग्रह की कविताएँ भाव एवं अर्थ की सघनता तथा अपनी शिल्पगत कुशलता से विस्मित करती हैं; और कवि की सृजनशीलता के प्रति, प्रदीर्घ प्रकाशन विलम्ब के बावजूद, आश्वस्त करती हैं। चालू फैशन की सपाट कविता के विपरीत, अर्थ-लय-वक्रोक्ति की शक्ति से संपन्न, बिंब-मिथक आदि से अपने काव्य-कर्म का संधान करती, ठस नहीं रससिक्त तरंगायित भाषा से लक्ष्य-भेद करने में कुशल रमाकांत नीलकंठ की कविता अपनी ईमानदारी में विरल है। प्रकृति, प्रेम, शृंगार से लेकर देश, राष्ट्र, लोक और विश्व मानवता के विविध विषयों को अपने रचनावृत्त में समेटती है। (https://pratishruti.in/products/jo-kuchh-hai-bas-hai-by-ramakant-neelkanth)
650 _aHindi poetry
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