000 | 03373nam a22001817a 4500 | ||
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082 |
_a891.432 _bBEN |
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100 |
_aBenipuri, Shriramvriksha _923495 |
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245 | _aAmbapali | ||
260 |
_aGyan Ganga _bNew Delhi _c2024 |
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300 | _a165 p. | ||
365 |
_aINR _b400.00 |
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520 | _aअंबपाली बौद्ध युग की एक अतिप्रसिद्ध नारी है। उसको लेकर भारतीय भाषाओं में कितनी ही रचनाएँ हुई हैं—काव्य, कहानी, नाटक, उपन्यास के रूप में। जहाँ अंबपाली का जन्म हुआ था, उसी भूमि में लेखक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी भी जनमे। एक पुरातत्त्वज्ञ ने तो यहाँ तक कह डाला है कि वृज्जियों के आठ कुलों में शायद उनका (लेखक का) वंश भी है, जिनकी संघ-शक्ति ने वैशाली को महानता और अमरता प्रदान की थी। ‘अंबपाली’ नाटक को अपार प्रसिद्धि मिली और इसने नाट्य-लेखन को एक नया आयाम दिया। बेनीपुरीजी लिखते हैं—‘सघन पत्तियोंवाली एक आम्र-विटपी के तने से उठँगकर मैं अपनी अंबपाली की रचना किया करता था—सामने फूलों से लदे मोतिए और गुलाब के झाड़ थे, ऊपर आसमान पर बादलों की घुड़दौड़ होती थी और इधर मेरी लेखनी कागज पर घुड़दौड़ करती थी। दिन भर मैं जो कुछ रचता, शाम को मित्रों को सोल्लास सुनाता। उस पाषाणपुरी में मेरी इस कुसुम-तनया की अलौकिक चरितावली उनके शुष्क हृदयों को हरा-भरा और रंगीन बना देती, वे मुझ पर और इस कृति पर प्रशंसा की पुष्प-वृष्टि करने लगते! बेचारे विधाता को ऐतिहासिक अंबपाली की सृष्टि करने में ऐसा सुंदर वातावरण और ऐसा निराला प्रोत्साहन कहाँ प्राप्त हुआ होगा!’ ऐतिहासिक अंबपाली और वैशाली की आत्मा को बखूबी चित्रित करता रोचक एवं लोकप्रिय नाटक। (https://www.prabhatbooks.com/ambapali.htm) | ||
650 | _aHindi drama | ||
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