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100 _aPremchandra
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245 _aKarmbhumi
260 _bLokbharti Prakashan
_aNew Delhi
_c2023
300 _a278 p.
365 _aINR
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520 _aअपने वक़्त के सच को पेश करने का प्रेमचन्द का जो नज़रिया था, वह आज के लिए भी माकूल है। ग़रीबों और सताए गए लोगों के बारे में उन्होंने किसी तमाशबीन की तरह नहीं, एक साझीदार की तरह से लिखा। —फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ समाज-सुधारक प्रेमचन्द से कलाकार प्रेमचन्द का स्थान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। उनका लक्ष्य जिस सामाजिक संघर्ष और प्रवर्तन को चित्रित करना रहा है, उसमें वह सफल हुए हैं। —डॉ. रामविलास शर्मा क़लम के फ़ील्ड मार्शल, अपने इस महान पुरखे को दिल में अदब से झुककर और गर्व से मैं रॉयल सैल्यूट देता हूँ। —अमृतलाल नागर (https://rajkamalprakashan.com/karmbhoomi.html)
650 _aHindi novel
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