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082 _a891.431
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245 _aDeewan-e-galib
250 _a5th
260 _bRajkamal Prakashan
_aNew Delhi
_c2023
300 _a431 p.
365 _aINR
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520 _aसाहित्य के हज़ारों साल लम्बे इतिहास में जिन चन्द काव्य-विभूतियों को विश्वव्यापी सम्मान प्राप्त है, ग़ालिब उन्हीं में से एक हैं। उर्दू के इस महान शायर ने अपनी युगीन पीड़ाओं को ज्ञान और बुद्धि के स्तर पर ले जाकर जिस ख़ूबसूरती से बयान किया, उससे समूची उर्दू शायरी ने एक नया अन्दाज़ पाया और वही लोगों के दिलो-दिमाग़ पर छा गया। उनकी शायरी में जीवन का हर पहलू और हर पल समाहित है, इसीलिए वह जीवन की बहुविध और बहुरंगी दशाओं में हमारा साथ देने की क्षमता रखती है। काव्यशास्त्र की दृष्टि से ग़ालिब ने स्वयं को ‘गुस्ताख़’ कहा है, लेकिन यही उनकी ख़ूबी बनी। उनकी शायरी में जो हलके विद्रोह का स्वर है, जिसका रिश्ता उनके आहत स्वाभिमान से ज़्यादा है, उसमें कहीं शंका, कहीं व्यंग्य और कहीं कल्पना की जैसी ऊँचाइयाँ हैं, वे उनकी उत्कृष्ट काव्य-कला से ही सम्भव हुई हैं। इसी से उनकी ग़ज़ल प्रेम-वर्णन से बढ़कर जीवन-वर्णन तक पहुँच पाई। अपने विशिष्ट सौन्दर्यबोध से पैदा अनुभवों को उन्होंने जिस कलात्मकता से शायरी में ढाला, उससे न सिर्फ़ वर्तमान के तमाम बन्धन टूटे, बल्कि वह अपने अतीत को समेटते हुए भविष्य के विस्तार में भी फैलती चली गई। निश्चय ही ग़ालिब का यह दीवान हमें उर्दू-शायरी की सर्वोपरि ऊँचाइयों तक ले जाता है। (https://rajkamalprakashan.com/deewan-e-galib.html)
650 _aHindi poetry
700 _aJafri, Ali Sardar [Editor]
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