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020 _a9789388753579
082 _a891.433
_bROY
100 _aRoy, Arundhati
245 _aApaar khushi ka gharana
260 _bRajkamal Prakashan
_aNew Delhi
_c2019
300 _a427 p.
365 _aINR
_b995.00
520 _a'अपार ख़ुशी का घराना' हमें कई वर्षों की यात्रा पर ले जाता है। यह एक कहानी है जो पुरानी दिल्ली की तंग बस्तियों से खुलती हुई फलते-फूलते नए महानगर और उससे दूर कश्मीर की वादियों और मध्य भारत के जंगलों तक जा पहुँचती है, जहाँ युद्ध ही शान्ति है और शान्ति ही युद्ध है और जहाँ बीच-बीच में हालात सामान्य होने का एलान होता रहता है। अंजुम, जो पहले आफ़ताब थी, शहर के एक क़ब्रिस्तान में अपना तार-तार कालीन बिछाती है और उसे अपना घर कहती है। एक आधी रात को फुटपाथ पर कूड़े के हिंडोले में अचानक एक बच्ची प्रकट होती है। रहस्यमय एस. तिलोत्तमा उससे प्रेम करनेवाले तीन पुरुषों के जीवन में जितनी उपस्थित है उतनी ही अनुपस्थित रहती है। 'अपार ख़ुशी का घराना' एक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है। उसे फुसफुसाहटों में, चीख़ों में, आँसुओं के ज़रिये और कभी-कभी हँसी-मज़ाक़ के साथ कहा गया है। उसके नायक वे लोग हैं जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं। इसी वजह से वे जितने इस्पाती हैं उतने ही भंगुर भी, और वे कभी आत्म-समर्पण नहीं करते। यह सम्मोहक, शानदार किताब एक नए अन्दाज़ में फिर से बताती है कि एक उपन्यास क्या कर सकता है और क्या हो सकता है। अरुंधति रॉय की कहानी-कला का करिश्मा इसके हर पन्ने पर दर्ज है। (https://rajkamalprakashan.com/apaar-khushi-ka-gharana.html)
650 _aHindi novel
700 _aDabral, Mangalesh [Translator]
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