000 02846nam a22002177a 4500
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020 _a9789389598834
082 _a808.23
_bSIN
100 _aSingh, Ramkumar
_921629
245 _aIdea se parde tak:
_bkaise sochta hai film ka lekhak? (आइडिया से परदे तक: कैसे सोचता है फिल्म का लेखक?)
250 _a3rd
260 _bRajkamal Prakashan
_aNew Delhi
_c2021
300 _a166 p.
365 _aINR
_b199.00
520 _aयह किताब सिनेमा के एक सहयोगी पेशेवर के रूप में फ़ि‍ल्म-लेखक के कामकाज का सिलसिलेवार वृत्तान्त प्रस्तुत करती है। फ़ि‍ल्म का अपना तौर-तरीक़ा है, जिसके दायरे में रहकर ही फ़ि‍ल्म-लेखक को काम करना पड़ता है। इसलिए एक हद तक अपनी स्वायत भूमिका रखने के बावजूद उसको अपना काम करते हुए निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, कैमरा-निर्देशक आदि अनेक सहयोगी पेशेवरों के साथ संगति का ख़याल रखना पड़ता है। ज़ाहिर है, फ़ि‍ल्म-लेखन जिस हद तक कला है, उसी हद तक शिल्प और तकनीक भी। एक सफल फ़ि‍ल्म लेखक बनने के लिए जितनी ज़रूरत प्रतिभा की है, उतनी ही परिश्रम, कौशल, अनुशासन और समन्वय की। सबसे लोकप्रिय कला के रूप में अपनी जगह बना चुका सिनेमा आज एक महत्त्वपूर्ण इंडस्ट्री भी है जो लाखों-लाख युवाओं के सपनों का केन्द्र बन चुकी है। ऐसे में फ़ि‍ल्म-लेखन की दिशा में कदम बढ़ाने वालों के लिए यह किताब एक अपरिहार्य हैण्डबुक की तरह है। (https://rajkamalprakashan.com/idea-se-parde-tak-kaise-sochta-hai-film-ka-lekhak.html)
650 _aCinema
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650 _aScript writing
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700 _aSingh, Satyanshu
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942 _cBK
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999 _c9255
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