000 | 02215nam a22001937a 4500 | ||
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005 | 20250412125417.0 | ||
008 | 250412b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789389243802 | ||
082 |
_a891.431 _bSIN |
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100 |
_aSingh, Ramdhari 'Dinkar' _923093 |
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245 | _aKavishree | ||
250 | _a3rd | ||
260 |
_bLokbharti Prakashan _aNew Delhi _c2024 |
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300 | _a71 p. | ||
365 |
_aINR _b395.00 |
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520 | _aकविश्री' रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। 'कविश्री' में संगृहीत हैं दिनकर जी की 'हिमालय के प्रति', 'प्रभाती', 'व्याल विजय' एवं 'नया मनुष्य' जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कविताएँ, जो हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। दिनकर का काव्य-व्यक्तित्व जिस दौर में निर्मित हुआ, वह राजसत्ता और शोषण के विरुद्ध हर मोर्चे पर संघर्ष का दौर था। इसलिए 'कविश्री' में संकलित रचनाओं को पढ़ना भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में साहित्य के योगदान से भी परिचित होना है। अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण पाठकों के लिए एक संग्रहणीय और अविस्मरणीय संग्रह। (https://rajkamalprakashan.com/kavishree.html) | ||
650 | _aHindi poetry | ||
942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c9162 _d9162 |