000 | 01923nam a22002057a 4500 | ||
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005 | 20250415172842.0 | ||
008 | 250415b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789387462281 | ||
082 |
_a891.434 _bVAJ |
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100 |
_aVajpeyi, Nand Dularey _923205 |
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245 |
_aMahakavi Soordas: _bSoordas ke kavya, jeevan aur bhakti ka antarang vivechan |
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250 | _a5th | ||
260 |
_bRajkamal Prakashan _aNew Delhi _c2023 |
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300 | _a150 p. | ||
365 |
_aINR _b595.00 |
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520 | _aभक्तिकाल के इस अप्रतिम कवि के जीवन और साहित्य पर जितना कुछ उल्लेखनीय अध्ययन अब तक हुआ है, उसमें आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की यह पुस्तक विशिष्ट स्थान रखती है। उपलब्ध स्रोत-सामग्री का तुलनात्मक अध्ययन करके आचार्य वाजपेयी ने महाकवि के जीवन-तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी इस पुस्तक में दी है, और साथ ही उनके कृतित्व और भक्ति के सिद्धान्त-पक्ष का विवेचन भी किया है। आकार में लघु होते हुए भी सूर-साहित्य का इतना समग्र अनुशीलन इस पुस्तक में है कि निस्संकोच भाव से इसे 'गागर में सागर' की संज्ञा दी जा सकती है। (https://rajkamalprakashan.com/mahakavi-soordas.html) | ||
650 | _aLiterary criticism | ||
650 |
_aCriticism--Hindi _923097 |
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942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c9141 _d9141 |