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020 _a9789357759175
082 _a891.431
_bNAR
100 _aNarain, Kunwar
_914792
245 _aAtmajayee (आत्मजयी)
260 _bVani Prakashan
_aNew Delhi
_c2023
300 _a124 p.
365 _aINR
_b195.00
520 _aआत्मजयी - पिछले वर्षों में 'आत्मजयी' ने हिन्दी साहित्य के एक मानक खण्ड-काव्य के रूप में अपनी एक ख़ास जगह बनायी है और यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रशंसित एक असाधारण कृति है। 'आत्मजयी' का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है। इस आख्यान के पुराकथात्मक पक्ष को कवि ने आज के मनुष्य की जटिल मनःस्थितियों को एक बेहतर अभिव्यक्ति देने का अपूर्व साधन बनाया है। 'आत्मजयी' मूलतः मनुष्य की रचनात्मक सामर्थ्य में आस्था की पुनः प्राप्ति की कहानी है। इसमें आधुनिक मनुष्य की जटिल नियति से एक गहरा काव्यात्मक साक्षात्कार है। इतालवी भाषा में 'नचिकेता' नाम से इस कृति का अनुवाद प्रकाशित और चर्चित हुआ है—यह इस बात का प्रमाण है कि कवि ने जिन समस्याओं और प्रश्नों से मुठभेड़ की है उनका सार्विक महत्त्व है। (https://vaniprakashan.com/home/product_view/5112/Atmajayee)
650 _aHindi poem
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