000 | 02073nam a22002057a 4500 | ||
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005 | 20240328145611.0 | ||
008 | 240223b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788170282495 | ||
082 |
_a891.434 _bNAG |
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100 |
_aNagar, Amritlal _914750 |
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245 | _aManas ka Hans | ||
260 |
_bRajpal and Sons _aDelhi _c2023 |
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300 | _a376 p. | ||
365 |
_aINR _b545.00 |
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520 | _a"मानस का हंस" लेखक अमृतलाल नागर का प्रतिष्ठित बृहद उपन्यास है। इसमें पहली बार व्यापक कैनवास पर "रामचरितमानस" के लोकप्रिय लेखक गोस्वामी तुलसीदास के जीवन को आधार बनाकर कथा रची गई है, जो विलक्षण के रूप से प्रेरक, ज्ञानवर्धक और पठनीय है। इस उपन्यास में तुलसीदास का जो स्वरूप चित्रित किया गया है, वह एक सहज मानव का रूप है। यही कारण है कि "मानस का हंस" हिन्दी उपन्यासों में 'क्लासिक' का सम्मान पा चुका है और हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि माना जाता है। नागर जी ने इसे गहरे अध्ययन और मंथन के पश्चात अपने विशिष्ट लखनवी अन्दाज़ में लिखा है। बृहद होने पर भी यह उपन्यास अपनी रोचकता में अप्रतिम है। (https://rekhtabooks.com/products/manas-ka-hans) | ||
650 |
_aHindi literature _914826 |
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650 |
_aHindi novel _914892 |
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650 |
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942 |
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999 |
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