000 | 02138nam a22001937a 4500 | ||
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005 | 20240311141339.0 | ||
008 | 240222b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
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082 |
_a891.43 _bBHA |
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100 |
_aBhatnagar, Tarun _914728 |
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245 |
_aBedava: _bek prem katha |
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260 |
_bRajkamal Prakashan _aNew Delhi _c2020 |
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300 | _a160 p. | ||
365 |
_aINR _b160.00 |
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520 | _aरोचक अन्दाज़ में लिखा गया उपन्यास 'बेदावा' आँखों से न देख पानेवालों, ट्रांसजेंडरों और दग़ाबाज़ों की अनदेखी दुनिया के इश्क़ का फ़साना है। हमारे दौर की मज़हबी नफ़रतों और दुश्वारियों से भिड़ते उन लोगों की कहानी है जो हार नहीं मानते। यह किताबों और रौशनियों की कहानी है। इश्क़ का ऐसा क़िस्सा है जो आदमी और औरत के इश्क़ से अलहदा इंसानियत के फ़लसफ़े को गढ़ता है। इसमें अत्याधुनिक कॉलेज के कैम्पस हैं तो जंगलों की अनजान दुनिया। स्पेन का कोई आधुनिक क़स्बा है तो हमारे यहाँ की भीड़ और शोर-शराबे से भरा कोई गली-मुहल्ला। यह प्यार को खोने और पा जाने के दरमियान की बेचैनियों, ख़्वाबों और उम्मीदों का एक शानदार वाक़या है। (https://rajkamalprakashan.com/bedava-ek-prem-katha.html) | ||
650 |
_aFiction--Hindi _916457 |
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650 |
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942 |
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999 |
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