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082 |
_a891.433 _bKAL |
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100 |
_aKalidas _914727 |
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245 | _aKumarsambhav | ||
260 |
_bRajpal and Sons _aDelhi _c2023 |
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300 | _axxiv, 119 p. | ||
365 |
_aINR _b185.00 |
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520 | _aसंस्कृत के सर्वश्रेष्ठ कवि कालिदास ने 'कुमारसंभव' महाकाव्य में श्रृंगार-सौंदर्य का जैसा वर्णन किया है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है। 'उपमा कालिदासस्य' तो प्रसिद्ध ही है कि आज तक कोई कवि कालिदास जैसी उपमा नहीं दे सका। 'कुमारसंभव' में कालिदास ने शिव-पार्वती के अंतरंग क्षणों का ऐसा जीवंत सौंदर्य-चित्रण किया जो संस्कृत साहित्य में अनुपम है।'कुमारसंभव' संस्कृत साहित्य की गौरवपूर्ण कृतियों में एक उल्लेखनीय महाकाव्य है जिसको पढ़ते समय पाठक उसी में रम जाता है। (https://rekhtabooks.com/products/kumarsambhav) | ||
650 |
_aSanskrit epic _916552 |
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650 |
_aSanskrit Poet _916553 |
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650 |
_aHindi literature _914826 |
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