000 | 02810nam a22002057a 4500 | ||
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005 | 20240129144215.0 | ||
008 | 240129b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788180311178 | ||
082 |
_a954.035 _bVER |
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100 |
_aVerma, Mahadevi _914711 |
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245 | _aSmriti ki rekhayen | ||
250 | _a6th | ||
260 |
_bLokbharti Prakashan _aNew Delhi _c2023 |
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300 | _a119 p. | ||
365 |
_aINR _b395.00 |
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520 | _aमहादेवी मूलतः कवयित्री हैं, परन्तु उन्होंने गद्य में भी श्रेष्ठ लेखन किया। विशेष बात यह है कि हिन्दी साहित्य में उनके रेखाचित्र जिस शिखर पर खड़े हैं, उन्हें छूनेवाला आज तक कोई नहीं हुआ। एक महादेवी ही हैं, जिन्होंने गद्य में भी कविता के मर्म की अनुभूति कराई और ‘गद्यं कवितां निकषं वदन्ति’ को चरितार्थ किया। स्मृति की रेखाएँ में निरन्तर जिज्ञासाशील महादेवी ने अपनी स्मृति के आधार पर अमिट रेखाओं द्वारा अत्यन्त सहृदयतापूर्वक जीवन के विविध रूपों को चित्रित कर पात्रों को अमर कर दिया है। उन्होंने अपने अधिकांश रेखाचित्रों में निम्नवर्गीय पात्रों की विशेषताओं, दुर्बलताओं और समस्याओं का चित्रण किया है। वृद्ध ‘भक्तिन’ की प्रगल्भता तथा स्वामिभक्त ‘चीनी युवक’ की करुण मार्मिक जीवनगाथा, पर्वत के कुली ‘जंगबहादुर’ की कर्मठता और फिर ‘मुन्नू’, ‘ठकुरी बाबा’, ‘बिबिया’ तथा ‘गुँगिया’ जैसे चरित्रों की मर्मस्पर्शी जीवन-झाँकियाँ पाठक को अभिभूत कर देने में सक्षम हैं। (https://rajkamalprakashan.com/smriti-ki-rekhaye.html) | ||
650 |
_aIndia _913116 |
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650 |
_aAuthors, Hindi _914818 |
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942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c6519 _d6519 |