000 | 02868nam a22001817a 4500 | ||
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082 |
_a294.1 _bGAR |
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100 |
_aGarg, Ashutosh _914676 |
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245 |
_aKuber: _bLanka ka poorve raja |
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260 |
_bManjul Publishing House _aBhopal _c2022 |
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300 | _a236 p. | ||
365 |
_aINR _b350.00 |
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520 | _aदेवासुर संग्राम में देवताओं ने राक्षसों को स्वर्ण-नगरी लंका से खदेड़कर पाताल पहुँचा दिया। इसी बीच, ब्रह्मा के प्रपौत्र कुबेर ने वीरान हो चुकी लंका पर अधिकार स्थापित कर लिया। यह बात राक्षसों से सहन नहीं हुई। उन्होंने लंका को वापस पाने का एक भयानक षड्यंत्र रचा, जिसने कुबेर के संसार को पलट कर रख दिया। लंका का असली राजा कौन था? कुबेर को धन का देवताऔर यक्षों का स्वामी किसने बनाया? कुबेर और रावण सौतेले भाई कैसे बने? कुबेर और रावण की शत्रुता उन्हें कहाँ ले गई? कुबेर के साथ ऐसा क्या हुआ जिसने कालांतर में महाकवि कालिदास की प्रसिद्ध रचना ‘मेघदूत’ की आधारशिला रखी? कुबेर का काले धन (ब्लैक मनी) से क्या संबंध है? यदि ये प्रश्न आपके मन में कौतूहल जगाते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि आज का धन-लोभी मनुष्य,धन के देवता कुबेर के जीवन से पूरी तरह अनजान है! लेखक ने इस उपन्यास में कुबेर की जीवन-गाथा के अतिरिक्त ‘मेघदूत’ की रचना और समाज में काले-धन की समस्या को बड़ी कुशलता से परस्पर गूँथकर प्रस्तुत किया है। (https://manjulindia.com/kuber-hindi.html) | ||
650 | _aMythology | ||
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