000 | 01589nam a22002057a 4500 | ||
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005 | 20240129181650.0 | ||
008 | 240129b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788183224352 | ||
082 |
_a832.92 _bNEE |
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100 |
_aNeelkantan, Anand _914657 |
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245 |
_aAsur: _bparajiton ki gatha, Ravan va uski praja ki kahani |
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260 |
_bManjul Publishing House _aBhopal _c2023 |
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300 | _a442 p. | ||
365 |
_aINR _b550.00 |
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520 | _aनंबर 1 राष्ट्रीय बेस्टसेलर रहे अंग्रेज़ी उपन्यास के इस हिन्दी अनुवाद में लंकापति रावण व उसकी प्रजा की कहानी सुनाई गई है। यह गाथा है जय और पराजय की, असुरों के दमन की — एक ऐसी कहानी की जिसे भारत के दमित व शोषित जातिच्युत 3000 वर्षों से सँजोते आ रहे हैं। रामायण के उलट, रावणायन की कथा अब तक कभी नहीं कही गई। मगर अब शायद मृतकों और पराजितों के बोलने का वक़्त आ गया है। (https://manjulindia.com/asur-parajiton-ki-gatha-hindi-edn-of-asura-tale-of-the-vanquished.html) | ||
650 |
_aRamayana _913564 |
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650 |
_aRavan _914850 |
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650 |
_aAsura-Tale of the Vanquished _914851 |
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942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c6450 _d6450 |