000 | 03221nam a2200181 4500 | ||
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082 |
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100 |
_aRadhakrishnan, S. _99782 |
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245 |
_aBharatiya sanskriti: _bkuchh vichar |
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260 |
_bRajpal and Sons _aNew Delhi _c2022 |
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300 | _a104 p. | ||
365 |
_aINR _b145.00 |
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520 | _aस्वर्गीय राष्ट्रपति डॉ॰ राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और विचारक थे। भारतीय संस्कृति के वे मूर्धन्य व्याख्यता तथा उसके समर्थक थे। भारतीय संस्कृति का वास्तविक स्वरूप उन्होंने विशव के सामने प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया। भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता यह है कि वह मानव के उदबोधन का मार्ग प्रशस्त करती है। भारतीय संस्कृति धर्म को जीवन से अलग करने की बात नहीं मानती, अपितु वह मानती है कि धर्म ही जीवन की ओर ले जाने वाला मार्ग है और उसे बताती है कि उससे किसी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं-क्योंकि मानव जिन विचारों से भयभीत होता है, वे तो स्वयं उसके अन्तर में छिपे हुए हैं। मानव को उन्हीं पर विजय प्राप्त करनी है। भारतीय संस्कृति यह भी नहीं कहती मानव की महत्ता कभी न गिरने में है, वरन् मानव की महत्ता इस बात में है कि वह गिरने पर भी उठकर खड़ा होने में समर्थ है। उसकी महानता इस बात से आंकी जाती है कि वह अपनी दुर्बलताओं पर प्रभुत्व पाने में कहाँ तक समर्थ है। महान् विचारक-दार्शनिक डॉ॰ राधाकृष्णन ने इस पुस्तक में अनेक संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है और बताया है कि भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक अन्वेषण से ही मानव मात्र का जीवन उन्नत हो सकता है। | ||
650 |
_aCivilization _9481 |
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