000 | 02619nam a22001937a 4500 | ||
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999 |
_c3444 _d3444 |
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005 | 20220916165344.0 | ||
008 | 220912b ||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788194024651 | ||
082 |
_a891.43 _bDEV |
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100 |
_aDev, Acharya Devendra _98483 |
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245 | _aPandit Ramprasad ‘Bismil’ | ||
260 |
_bVidha Vikash Academy _aNew Delhi _c2019 |
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300 | _a239 p. | ||
365 |
_aINR _b500.00 |
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520 | _aमहाकाव्य विषयक लगभग सभी शास्त्र-सम्मत मानकों पर खरी उतरनेवाली, सोलह सर्गों में निबद्ध इस महनीय महाकाव्य-कृति 'पं. रामप्रसाद बिस्मिल', में महाकवि देव ने बिस्मिलजी के अग्निधर्मा व्यक्तित्व और उनके जुझारू, किंतु अत्यधिक संवेदनशील कृतित्व का सजीव चित्रण, अपनी पूरी क्षमता और प्राणवत्ता के साथ किया है। -प्रो. सारस्वत मोहन 'मनीषी' अंतरराष्ट्रीय कवि एवं साहित्यकार वस्तुतः देवजी प्रसिद्ध से पूर्व सिद्ध कवि और महाकाव्यकार हैं। 'पं. रामप्रसाद बिस्मिल' महाकाव्य उनकी आत्मा की अमंद राष्ट्र-ज्योति की अनर्घ प्रस्तुति है। -प्रो.भगवान शरण भारद्वाज प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद् क्रांति के अमर पुरोधा 'पं. रामप्रसाद बिस्मिल' का भौतिक स्मारक, मेरे लाख प्रयत्न करके भी सरकार तो नहीं बनवा सकी, किंतु प्रस्तुत महाकाव्य के रूप में उनका 'साहित्यिक स्मारक' आचार्य देवेंद्र देव ने मेरे जीवनकाल में ही रचकर मुझे दे दिया है | ||
650 |
_aHindi Literature _98674 |
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650 |
_aHindi -- Poetry _98675 |
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942 |
_2ddc _cBK |