000 | 01902nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
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020 | _a9789350002469 | ||
082 |
_a891.4317 _bBAD |
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100 |
_aBadra, Bashir _98434 |
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245 | _aMein bashir hoon | ||
260 |
_bVani Prakashan _aNew Delhi _c2015 |
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300 | _a167 p. | ||
365 |
_aINR _b250.00 |
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520 | _aहर बड़े शायर को कड़ी आज़माइशों से गुजरना पढ़ता है। मीर को अपनी अज़मत के इज़हार के लिए अजगर नामा लिखने की जरूरत पड़ी। गालिब ने क्या-क्या आर्का आराइयाँ की। फ़ैज़ जिन्हें उनकी ज़िन्दगी में मकबूलिअल और इज़्ज़त मिल गयी उन्हें भी आसानी से यह रुतबानहीं मिला था। गजिशता तीस बरस में बशीर बद्र ने भी ये सख्तियां झेली हैं। ‘इकाई’ से लेकर ‘अमाद’ तक इन बड़ी-बड़ी आज़माइशों से वो गुजरे हैं। उनकी गजलों की पहली किताब ;इकाई’ ने हमारे अदब में तहलका मचा दिया था। एक अजीब शान और धूम से बशीर बद्र गजल की दुनिया में आए लेकिन इस्स पर भी सर्दो गर्म मौसम गुजरे,याब वो यहाँ तक पहुँचे हैं। | ||
650 |
_aHindi-Urdu Poem _98460 |
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942 |
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