000 | 01482nam a22001937a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c3339 _d3339 |
||
005 | 20220919143737.0 | ||
008 | 220919b ||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789387462250 | ||
082 |
_a891.43371 _bSHR |
||
100 |
_aShree, Geetanjali _98641 |
||
245 | _aRet Samadhi | ||
260 |
_bRajkamal Prakashan _aNew Delhi _c2022 |
||
300 | _a376 p. | ||
365 |
_aINR _b450.00 |
||
520 | _aअस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बजि़द कि अब नहीं उठूँगी। फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही उठूँगी। दादी उठती है। बिलकुल नई। नया बचपन, नई जवानी, सामाजिक वर्जनाओं-निषेधों से मुक्त, नए रिश्तों और नए तेवरों में पूर्ण स्वच्छन्द। | ||
650 |
_aJoint families _98733 |
||
650 |
_aInterpersonal relations _91228 |
||
942 |
_2ddc _cBK |