TY - BOOK AU - Gupta, Kinshuk TI - Yeh dil hai ki chor darwaza (ये दिल है कि चोर दरवाजा) SN - 9789355188205 U1 - 891.433 PY - 2023/// CY - New Delhi PB - Vani Prakashan KW - Hindi fiction KW - Hindi short-stories N2 - प्रेम को चाहने वाला एक दूसरा वर्ग भी है- एल. जी. बी.टी. समुदाय। यह वर्ग न जाने कब से प्रेम पाने की लड़ाई लड़ रहा है। चोर दरवाज़ों से मुख्य दरवाजों तक आने की जी तोड़ कोशिश में लगा हुआ है। मुझे याद आता है कुछ समय पहले देखा वीडियो जिसमें एक इंडोनेशियन नागरिक को शहर के बीचों-बीच अधनंगा कर कोड़े लगाए जा रहे हैं। कोड़े लगाने वाला, नीली वर्दी पहने पुलिस का एक आदमी । गुनाह, दूसरे पुरुष से प्रेम करने का दुस्साहस। निर्ममता से चलते उस आदमी के रूखे हाथ; लड़के के शरीर पर बने लाल चकत्ते, माथे पर पड़ी त्योरियाँ, बेवस आहे; लोगों के मखौल भरे चेहरे कुछ समय के लिए मुझे लगा जैसे हम जॉर्ज ऑरवेल के 1984 जैसी किसी डिस्टोपियन दुनिया में जी रहे हैं। समाज का एक वर्ग चाहे समलैंगिकता को प्रकृतिस्थ स्थिति मानकर स्वीकार करता है, मैंने यही पाया है। कि उनकी स्वीकार्यता के भी विभिन्न स्तर हैं। कुछ माता-पिता से बात करते हुए पाया कि सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रगतिशील विचारों के बावजूद वे अपने खुद के बच्चों का समलैंगिक होना बर्दाश्त नहीं कर पाते। जिस हिन्दी पत्रिका में मेरी दो कहानियाँ प्रकाशित हुई, यहाँ के सम्पादक ने मुझे अगली कहानी समलैंगिकता पर न होने की हिदायत दी। हालांकि उन दोनों कहानियों का कथ्य एकदम अलग वा और में यह भी समझता हूँ कि सम्पादक महोदय ने भलमनसाहत में ही मुझे ऐसा कहा था ताकि मेरा लेखन केवल एक लेबल' के तहत न सिमट जाए। | लेकिन में यह भी जानता हूँ कि वही सम्पादक किसी फेमिनिस्ट लेखक को यह नहीं कहेंगे कि यह स्त्री विमर्श पर लिखना बन्द कर दे। इससे यह जरूर समझ में आता है कि समलैंगिकता अभी भी समाज के लिए एक एग्ज़ॉटिक मुद्दा बना हुआ है, जिसके आयाम केवल एक 'थीम' भर तक ही सीमित हैं। (https://staging.vaniprakashan.com/home/product_view/7065/Yeh-Dil-Hai-Ki-Chor-Darwaza) ER -