TY - BOOK AU - Singh, Thakur Prasad TI - Hum apni parampara nahi chorenge (हम अपनी परम्परा नहीं छोड़ेंगे) SN - 9789383772858 U1 - 891.433 PY - 2019/// CY - Kolkata PB - Pratishruti Prakashan KW - Hindi essays KW - Personal essays N2 - ठाकुर प्रसाद सिंह की इस कृति में संग्रहित निबंधों की छटा-खुशबू अपनी अलग धज लिए है। हृदयग्राही हँसमुख भाषा, स्थानीय रंजकता, व्यंग्य की मार्मिकता, मिथक और इतिहास की गहरी समझ तथा सांस्कृतिक भाव-संपन्नता से ये लेख समृद्ध हैं। नब्बे के दशक में लिखी ये रचनाएं अधिकांशतः दिनमान और बनारस-लखनऊ की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं और यहां पहले द़फे संकलित हैं। कुछ नये एवं अप्रकाशित भी हैं। (https://pratishruti.in/products/ham-apni-parampara-nahi-chorenge-by-thakur-prasad-singh) ER -