Gandhi: ek sachitra jeewni
- Bhopal Manjul Publishing House [s.n.]
- 324 p.
गाँधी निश्चय ही अपने समय की ऐसी शख्शियतों में शामिल रहे है जिनके सबसे ज़्यादा चित्र लिये गये हैं। अगर मैंने प्रमोद कपूर की यह विपुल रूप से चित्रों से सजी जीवन न देखी होती तो मुझे विशवास न हुआ होता कि अभी भी तस्वीरों के एक ऐसे समूचे ख़ज़ाने की खोज बाक़ी थी जो इसके पहले न तो कभी देखे गये थे और न ही छपे या प्रकाशित हुए थे। तस्वीरों के साथ की लिखित सामग्री इसे बेहद सुगम और पठनीय जीवनी बना देती है। यह पुस्तक संग्रहकर्ताओं के लिए एक अनूठी भेंट है।
- श्याम बेनेगल, प्रतिष्ठित फ़िल्म-निर्माता और निर्देशक
गाँधी पर लिखी गयी यह विनम्र प्रतीत होती पुस्तक तस्वीरों और लिखित पाठ का एक आकर्षक मिश्रण भर नहीं है। यह इस बात की भी सीख देती है कि कसी तरह प्रशस्तिगान किये बिना भी उत्सव मनाया जा सकता है।
- आशीष नन्दी, सेंटर फ़ॉर द स्टडीज़ ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज़ के प्रतिष्ठित फ़ेलो '
प्रमोद कपूर की पुस्तक गाँधी के जीवन की एक निजी और अन्तरंग फोटोग्राफ़िक यात्रा है। जो लोग गाँधी की कहानी से परिचित हैं, वे भी इस जीवित पुस्तक से विस्मय, आनंद और जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
- सुनील खिलनानी, किंग्स इंडिया इंस्टिट्यूट के निर्देशक और किंग्स कॉलेज, लन्दन में राजनीति के प्रोफ़ेसर
गाँधी की सैकड़ों जीवनियों के बाद, एक और ऐसी जीवनी के बारे में किसने सोचा होगा जो बृहद ग्रंथों के मुक़ाबले बहुत कम महत्वाकांक्षी होने के बावजूद ताज़ा अंतर्दृष्टियों से युक्त होगी? इस आकर्षण और सरलता का आभास देने वाली कृति में जिसमें शब्दों और चित्रों को परस्पर संवाद करते हुए प्रस्तुत किया गया है, गाँधी के जीवन की त्रासद भव्यता हर पैन पर महसूस की जा सकती है।
- विनय लाल, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस ऐंजिलिस में इतिहास के प्रोफ़ेसर
इस पुस्तक में प्रमोद कपूर ने जो कुछ शामिल किया है, उसे पढ़कर वे लोग भी आश्चर्य में पड़ जाएँगे जो लम्बे समय से गाँधी पर अध्धयन और शोध करते रहे हैं।
-विक्रम राघवन, वकील संग्रहक और इतिहासकार (जो भारत की एक गणतंत्र के रूप में संस्थापन की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं )
इस पुस्तक को पढ़ना एक आनन्ददायी अनुभव रहा। पाठय सामग्री संक्षिप्त होते हुए भी गाँधी के जीवन का बेहतर वृत्तांत उपलब्ध करती है । इसमें दिए गये कमाल के वे चित्र महात्मा को समझने में योगदान करते हैं, जिनमें से बहुत-से लगभग अज्ञात हैं।
- ई एस रेड्डी , संयुक्त राष्ट्र के भूतपूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल और सेंटर अगेन्स्ट अपार्थाइड, न्यू यॉर्क के भूतपूर्व निर्देशक
मोहनदास करमचन्द गाँधी का जीवन और उनके आदर्श सारी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं, लेकिन वास्तव में यह उनके व्यक्तित्व की जटिलता थी जिसने उनको असाधारण रूप से दिलचस्प बनाया था। उनके जीवन और बौद्धिक विकास से ताल्लुक रखने वाले ऐसे बहुत-से सूक्ष्म ब्योरे हैं जो उनकी उपलब्धियों की महानता के धुंधलके में अदृश्य रह गये हैं। इस सचित्र जीवन में उन ब्योरों को एकत्र करना आधुनिक भारतीय इतिहास की सर्वाधिक पूज्य प्रतिमा को जीवन की धड़कनों से भर देना है, और ऐसा करते हुए यह पुस्तक इस विषय पर केंद्रित तमाम दूसरी कृतियों के सन्दर्भ में एक नया प्रतिमान रचती है। गाँधी: एक सचित्र जीवनी एक शरारती, ज़िन्दादिल लड़के के एक महात्मा के रूप में विकसित होने का अंतरंग अध्ययन है। काठियावाड़ में उनकी आरम्भिक शिक्षा और कम उम्र में विवाह से लेकर लन्दन की भव्यता के साथ उनके पहले अनुभव तक, दक्षिण अफ़्रीका में एक क़ानूनी प्रकरण में संयोग से उनके रोज़गार मिल जाने से लेकर पीटरमेरिट्ज़बर्ग की रेल की उनकी उस सवारी तक जो बराबरी के हक़ को लेकर उनकी पहली लड़ाई का सबब बनी, एक अपेक्षाकृत नाकामयाब वकील ओने से लेकर मानव अधिकारों के लिए लड़ने वाले दर्मयोद्धा के रूप में उनकी विश्वस्तरीय प्रतिष्ठा तक - गाँधी ऐसे बिरले विद्रोही थे जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए जन-प्रतिरोध के अर्थ को पुनर्परिभाषित किया था। यह पुस्तक एक सघन अनुसन्धान का निष्कर्ष है जो दुनिया भर के स्त्रोतों से जुटाये गये छायाचित्रों द्वारा छोड़े गये निशाओं का पीछा करती हुई गाँधी के जीवन में प्रवेश करती है। क्रमबद्ध पाठ्य सामग्री और उसके साथ दिए गये छायाचित्र गाँधी की अनूठी जटिलता को साकार कर देते हैं - उनकी सफलताओं और विफलताओं को, अपने समकालीनों के साथ उनके आत्मीय रिश्तों को, और स्वयं अपने परिवार के साथ रहे उनके पेचीदा रिश्ते को भी। यह पुस्तक गहरे लगाव के साथ सामने लाया गया एक मुश्किल उद्यम और पाठकों की नयी पीढ़ी के लिए गाँधी की पद्धतियों और सन्देश को चर्चित करने का प्रयास है।