Bhairavee
Material type: TextPublication details: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd New Delhi 2023Description: 122ISBN:- 9788183610698
- 891.433 SHI
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.433 SHI (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Checked out | 04/06/2025 | 006108 |
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891.433 SHA Amaltas | 891.433 SHI Krishnakali | 891.433 SHI Chaudah Phere | 891.433 SHI Bhairavee | 891.433 SHR Pratinidhi kahaniyan | 891.433 SHU Jo meri nas nas mein hai | 891.433 SIN Upsanhar |
...“कैसा आश्चर्य था कि वही चन्दन, जो कभी सड़क पर निकलती अर्थी की रामनामी सुनकर माँ से चिपट जाती थी, रात-भर भय से थरथराती रहती थी, आज यहाँ शमशान के बीचोबीच जा रही सड़क पर निःशंक चली जा रही थी। कहीं पर बुझी चिन्ताओं के घेरे से उसकी भगवा धोती छू जाती, कभी बुझ रही चिता का दुर्गंधमय धुआँ हवा के किसी झोंके के साथ नाक-मुँह में घुस जाता।...”
जटिल जीवन की परिस्थितियों ने थपेड़े मार-मारकर सुन्दरी चन्दन को पतिगृह से बाहर किया और भैरवी बनने को बाध्य कर दिया। जिस ललाट पर गुरु ने चिता-भस्मी टेक दी हो क्या उस पर सिन्दूर का टीका फिर कभी लग सकता है?
शिवानी के इस रोमांचकारी उपन्यास में सिद्ध साधकों और विकराल रूपधारिणी भैरवियों की दुनिया में भटककर चली आई भोली, निष्पाप चन्दन एक ऐसी मुक्त बन्दिनी बन जाती है, जो सांसारिक प्रेम-सम्बन्धों में लौटकर आने की उत्कट इच्छा के बावजूद अपनी अन्तर्आत्मा की बेड़ियाँ नहीं त्याग पाती और सोचती रह जाती है—क्या वह जाए? पर कहाँ?
(https://rajkamalprakashan.com/bhairavee.html)
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