Atmajayee (आत्मजयी)
Material type:
- 9789357759175
- 891.431 NAR
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.431 NAR (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 006180 |
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891.431 DHA Duniya roj banti hai | 891.431 FAZ Duniya jise kehte hain | 891.431 KUN Apne samne | 891.431 NAR Atmajayee (आत्मजयी) | 891.431 PRA Titli | 891.4312 GHA Mirza Ghalib: hindi bhavarth mai sampurna shayri | 891.4314 PAT Mukti ke marg par |
आत्मजयी - पिछले वर्षों में 'आत्मजयी' ने हिन्दी साहित्य के एक मानक खण्ड-काव्य के रूप में अपनी एक ख़ास जगह बनायी है और यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रशंसित एक असाधारण कृति है। 'आत्मजयी' का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है। इस आख्यान के पुराकथात्मक पक्ष को कवि ने आज के मनुष्य की जटिल मनःस्थितियों को एक बेहतर अभिव्यक्ति देने का अपूर्व साधन बनाया है। 'आत्मजयी' मूलतः मनुष्य की रचनात्मक सामर्थ्य में आस्था की पुनः प्राप्ति की कहानी है। इसमें आधुनिक मनुष्य की जटिल नियति से एक गहरा काव्यात्मक साक्षात्कार है। इतालवी भाषा में 'नचिकेता' नाम से इस कृति का अनुवाद प्रकाशित और चर्चित हुआ है—यह इस बात का प्रमाण है कि कवि ने जिन समस्याओं और प्रश्नों से मुठभेड़ की है उनका सार्विक महत्त्व है।
(https://vaniprakashan.com/home/product_view/5112/Atmajayee)
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