Nithalle ki diary
Material type: TextPublication details: Rajkamal Prakashan New Delhi 2023Description: 139 pISBN:- 9788126713042
- 821.214 PAR
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 821.214 PAR (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 006145 |
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813.54 MIS Dharmayoddha Kalki: | 821.214 KAL My life: Vidyarthiyon ke liye meri sachitra atmakatha | 821.214 PAN Dr. Kalam: prerna ki udaan | 821.214 PAR Nithalle ki diary | 821.214 VIV Vyaktitva ka sampoorna vikas | 822 GIR Tughlaq | 822 VIJ Ghasiram Kotwal |
हरिशंकर परसाई हिन्दी के अकेले ऐसे व्यंग्यकार रहे हैं जिन्होंने आनन्द को व्यंग्य का साध्य न बनने देने की सर्वाधिक सचेत कोशिश की। उनकी एक-एक पंक्ति एक सोद्देश्य टिप्पणी के रूप में अपना स्थान बनाती है। स्थितियों के भीतर छिपी विसंगतियों के प्रकटीकरण के लिए वे कई बार अतिरंजना का आश्रय लेते हैं, लेकिन, तब भी यथार्थ के ठोस सन्दर्भों की धमक हमें लगातार सुनाई पड़ती रहती है। लगातार हमें यह एहसास होता रहता है कि जो विद्रूप हमारे सामने प्रस्तुत किया जा रहा है, उस पर सिर्फ ‘दिल खोलकर’ हँसने की नहीं, थोड़ा गम्भीर होकर सोचने की हमसे अपेक्षा की जा रही है। यही परसाई के पाठ की विशिष्टता है।
‘निठल्ले की डायरी’ में भी उनके ऐसे ही व्यंग्य शामिल हैं। आडंबर, हिप्पोक्रेसी, दोमुँहापन और ढोंग यहाँ भी उनकी क़लम के निशाने पर हैं।
(https://rajkamalprakashan.com/nithalle-ki-diary.html)
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