Chintan karo, chinta nahi
Material type: TextPublication details: Prabhat Prakashan New Delhi 2023Description: 312 pISBN:- 9789355214256
- 158.12 VIV
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 158.12 VIV (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Checked out | 01/21/2025 | 006154 |
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158.1 SYE Asafaltaon se kaise seekhain | 158.1 TRA Adhiktam safalta | 158.1 TRA Soch badlo zindagi badlo | 158.12 VIV Chintan karo, chinta nahi | 158.2 SWE Aisi vani boliye | 170 PIL Chanakya chintan | 170 SIN Chanakya ka arthshastra |
"भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण की वैश्विक आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में मंत्रमुग्ध करनेवाले अपने भाषणों के बाद बहुत प्रसिद्ध हो गए थे। उनके शक्तिशाली शब्दों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने मानव कल्याण और समाजहित के लिए जो सूत्र बताए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी प्रभावी और ओजस्वी वाणी, प्रखर चिंतन व संवेदनशीलता ने मानवता को समता और समभाव का संदेश दिया। उनके शब्दों में अद्भुत और अप्रतिम सकारात्मकता थी, जो श्रोताओं को प्रेरित करती थी और साथ ही आत्मावलोकन के लिए प्रेरित भी ।
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए सबसे उत्कृष्ट और प्रभावी भाषणों में से केवल पच्चीस संगृहीत हैं, जो कालजयी और सार्वकालिक हैं। स्वामी विवेकानंद के श्रीमुख से निःसृत ये शब्दरल हमारे जीवन को दिशा देने और सार्थकता प्राप्त करने की कुंजी हैं।
स्वतंत्र होने का साहस करें, जहाँ तक आपके विचार जाते हैं, जाने का साहस करें और उसे अपने जीवन में उतारने का साहस करें। --स्वामी विवेकानंद"
(https://www.prabhatbooks.com/chintan-karo-chinta-nahin.htm#more)
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