Halak ka daroga
Material type: TextPublication details: Radhakrishna Prakashan New Delhi 2023Description: 183 pISBN:- 9788195948444
- 891 JAI
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891 JAI (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 006102 |
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891 AGE Chuni hui kavitayeen | 891 CHA Prem ki paanch bhashayein | 891 CLE Edwina aur Nehru | 891 JAI Halak ka daroga | 891 KOH Prachann: mahasamar-6 | 891 LAM Dharm se aage: sampurna sansar ke liye naitikta | 891 PAN Savarkar: kalapani aur uske baad |
.मलय के लिए न तो सिनेमा के पात्र अछूते हैं न काव्य शास्त्र की अभिव्यक्तियाँ। सब्लाइम को रेडिकुलस बनाने के अपने अद्वितीय हुनर से वह जन्नत को दोज़ख़ से इस तरह मिलाते हैं कि पाठक को सैर के वास्ते थोड़ी नहीं, बहुत सारी फ़िजां हासिल हो जाती है।
—कान्ति कुमार जैन
कुछ लोग शस्त्र से चिकित्सा करते हैं तो कुछ शब्द से, मलय जैन को साहित्य का शल्य चिकित्सक कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे अपने शब्दों के माध्यम से मनुष्य के चित्त में व्याप्त विकारों को समझकर बहुत कुशलता के साथ उनका निदान करते हैं। उनकी रचनाएँ मात्र सरस ही नहीं है बल्कि वे पाठक को सार्थक जीवन के लिए प्रेरित भी करती हैं। बेहद मारक, अदभुत कथाशिल्प है उनका। —आशुतोष राणा
(https://rajkamalprakashan.com/halak-ka-daroga.html)
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