Mithila ka sankat
Material type: TextPublication details: Manjul Publishing House Bhopal 2015Description: 500 pISBN:- 9788183225373
- 823.914 BAN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 823.914 BAN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 005319 |
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823 KUM Jigri | 823 NAR Malaguḍi ka prinṭar | 823.1 GAN Meri atmakatha: satya ke mere prayog | 823.914 BAN Mithila ka sankat | 823.914 ROW Harry Potter aur paras patthar | 823.92 KAN Lanka ki rajkumari | 832.92 NEE Asur: parajiton ki gatha, Ravan va uski praja ki kahani |
ABOUT THE BOOK
मिथिला का संकट
रामायण का दूसरा भाग
मूल रामायण लगभग तीन हज़ार वर्ष पूर्व लिखी गयी थी I अब असाधारण कल्पना और कहानी कहने की बेहतरीन कला के द्वारा अशोक के. बैंकर ने आज के आधुनिक पाठकों के लिए इस महाकाव्य को दोबारा प्रस्तुत किया है I
पाशविक दैत्य देखते ही देखते भारी संख्या में अयोध्या की ओर कूच कर जाते हैं I राम अपने परिवार की रक्षा के लिए नहीं लौट पाते I उन्हें असुरों की सेना से निपटने के लिए कुछ वीर योद्धाओं का साथ देने मिथिला नगरी जाना पड़ता है, जो विनाश के कगार पर खड़ी है I दैत्यराज रावण के साथ होने वाले युद्ध में सहायता के लिए क्या राम को गुप्त देव - अस्त्र मिल पता है?
(https://manjulindia.com/mithila-ka-sankat-hindi-translatin-of-siege-of-mithila.html)
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