Pratinidhi kahaniyan
Material type: TextPublication details: Rajkamal Prakashan New Delhi 2022Edition: 4thDescription: 164 pISBN:- 9788126718696
- 891.433 SHR
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.433 SHR (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 003074 |
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891.433 SHI Krishnakali | 891.433 SHI Chaudah Phere | 891.433 SHI Bhairavee | 891.433 SHR Pratinidhi kahaniyan | 891.433 SHU Jo meri nas nas mein hai | 891.433 SIN Upsanhar | 891.433 VAS Premchand: dalit jiwan sambandhi kahaniyan |
यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।
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