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Pratinidhi kavitayen

By: Material type: TextTextPublication details: Rajkamal Prakashan New Delhi 2021Description: 162 pISBN:
  • 9788126702299
DDC classification:
  • 891.4318 SAX
Summary: समकालीन हिन्दी कविता की व्यापक जनवादी चेतना और प्रगतिशील जीवन-मूल्यों के सन्दर्भ में सर्वेश्वर एक ऐसे कवि के रूप में सुपरिचित हैं जिनकी रचनाएँ पाठकों से बराबर धड़कता हुआ रिश्ता बनाए हुए हैं। उनकी कविताएँ ‘नई कविता’ की ऊहा और आत्मग्रस्तता से बड़ी हद तक मुक्त रही हैं। इस संग्रह में उनके समूचे काव्य-कृतित्व से महत्त्वपूर्ण कविताएँ संकलित की गई हैं। ज़िन्दगी के बड़े सरोकारों से जुड़ी उनकी कविताएँ उन शक्तियों का विरोध करती हैं जो उसे किसी भी स्तर पर कुरूप करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। वे घेरों के बाहर के कवि हैं। उनकी कविताओं में हिन्दी कविता का लोकोन्मुख जातीय संस्कार घनीभूत रूप में मौजूद है और उन्हें न तो राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों से काटकर देखा जा सकता है और न कवि के अपने आत्मसंघर्ष को नकारकर। वस्तुत: दु:ख और गहन मानवीय करुणा से प्रेरित संघर्षशीलता, उदात्त सौन्दर्यबोध, मधुर भावनाओं के सन्धि संस्पर्श और ‘फ़ार्म’ की छन्दाछन्द विभिन्न मुद्राएँ इन कविताओं को व्यापक अर्थ में मूल्यवान बनाती हैं।
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Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 891.4318 SAX (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 003062
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891.4318 NAR Pratinidhi kavitayen 891.4318 NIR Dukhantika 891.4318 NIR Mann geela nahin hota 891.4318 SAX Pratinidhi kavitayen 891.432  BHA Andha yug 891.432 GUL Kharashein 891.432 PAR Awara bheed ke khatare

समकालीन हिन्दी कविता की व्यापक जनवादी चेतना और प्रगतिशील जीवन-मूल्यों के सन्दर्भ में सर्वेश्वर एक ऐसे कवि के रूप में सुपरिचित हैं जिनकी रचनाएँ पाठकों से बराबर धड़कता हुआ रिश्ता बनाए हुए हैं। उनकी कविताएँ ‘नई कविता’ की ऊहा और आत्मग्रस्तता से बड़ी हद तक मुक्त रही हैं। इस संग्रह में उनके समूचे काव्य-कृतित्व से महत्त्वपूर्ण कविताएँ संकलित की गई हैं।

ज़िन्दगी के बड़े सरोकारों से जुड़ी उनकी कविताएँ उन शक्तियों का विरोध करती हैं जो उसे किसी भी स्तर पर कुरूप करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। वे घेरों के बाहर के कवि हैं। उनकी कविताओं में हिन्दी कविता का लोकोन्मुख जातीय संस्कार घनीभूत रूप में मौजूद है और उन्हें न तो राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों से काटकर देखा जा सकता है और न कवि के अपने आत्मसंघर्ष को नकारकर। वस्तुत: दु:ख और गहन मानवीय करुणा से प्रेरित संघर्षशीलता, उदात्त सौन्दर्यबोध, मधुर भावनाओं के सन्धि संस्पर्श और ‘फ़ार्म’ की छन्दाछन्द विभिन्न मुद्राएँ इन कविताओं को व्यापक अर्थ में मूल्यवान बनाती हैं।

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