Jeevan jeene ki kala
Material type: TextPublication details: Prabhat Prakashan New Delhi 2020Description: 136 pISBN:- 9789351865889
- 158.1 LAM
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 158.1 LAM (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 003033 |
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158 MAX Vikas ke 15 amulya niyam | 158.1 KAR Aap safal kaise hon | 158.1 KHE Aap khud hi best hain | 158.1 LAM Jeevan jeene ki kala | 158.1 LIE Ganbatte: sada aage badhne ki Japani kala | 158.1 SCH Badi soch ka bada jadoo | 158.1 SHE Sanyasi ki tarah sochien: apne mastishk ko shanti aur udeshya pane hetu prashikshit kare |
परम पावन (तेनजिंग ग्यात्सो) दलाई लामा तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को हुआ था। दो वर्ष की अवस्था में उन्हें तेरहवें लामा के अवतार के रूप में मान्यता मिली। बौद्ध परंपरा के अनुसार उन्हें ल्हासा लाया गया और सन् 1940 में सिंहासन पर आसीन किया गया। पंद्रह वर्ष की अवस्था में उन्हें राज्य और सरकार प्रमुख के रूप में उत्तरदायित्व सँभालने के लिए आमंत्रित किया गया। चीन-तिब्बत समस्या का शांतिपूर्ण हल निकालने के उनके प्रयासों में बाधा डाली जाने और 10 मार्च, 1959 को तिब्बतियों के राष्ट्रीय विद्रोह को दबा दिए जाने के कारण उन्हें भारत आना पड़ा, जहाँ राजनीतिक शरण मिली। देश-निष्कासन के दौरान उन्होंने शिक्षा, पुनर्वास और प्राचीन तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के क्षेत्र में तिब्बती जनता का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। विश्व-शांति और अंतर्धार्मिक विश्वास के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदानों के लिए उन्हें ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ (1989) सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है। रेणुका सिंह ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से समाजशास्त्र विषय में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। आजकल वह सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वह तुषिता महायान ध्यान केंद्र, नई दिल्ली की निदेशिका भी हैं। ‘द वॉम्ब ऑफ माइंड’ व ‘वूमन रिबॉर्न’ के लेखन तथा ‘ग्रोइंग अप इन रूरल इंडिया’ के सह-लेखन के अतिरिक्त उन्होंने ‘द पाथ टू ट्रैंक्युलिटी’, ‘द ट्रांसफॉर्म्ड माइंड’, ‘द लिटिल बुक ऑफ बुद्धिज्म’ और ‘द पाथ ऑफ द बुद्धा’ का संकलन व संपादन भी किया है।.
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