Aadim raatri ki mahak (Record no. 6379)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789388933513 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.433 |
Item number | REN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Renu, Phanishwar Nath |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Aadim raatri ki mahak |
250 ## - EDITION STATEMENT | |
Edition statement | 3rd ed. |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc. | Rajkamal Prakashan |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Date of publication, distribution, etc. | 2022 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 142 p. |
365 ## - TRADE PRICE | |
Price type code | INR |
Price amount | 495.00 |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | फणीश्वरनाथ रेणु के कथा साहित्य को आंचलिक कहा गया है किन्तु उनकी कहानियाँ (तथा उपन्यास भी) जहाँ एक ओर ग्राम्य-जीवन की आंचलिकता को ही नहीं उसकी सम्पूर्ण आन्तरिकता को व्यक्त करती हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण तथा शहरी जीवन के अन्त:सम्बन्धों की वास्तविकता का भी उद्घाटन करती हैं।<br/><br/>रेणु की कहानियों में अत्यन्त ‘निजी’ को व्यापक सामाजिक यथार्थ से जोड़ पाने की अद्भुत क्षमता है और ऐसा वे अपूर्व काव्यात्मक रचाव के साथ कर पाते हैं। इस प्रक्रिया में उनकी कहानियाँ संगीत की सरहदों को छूने लगती हैं। उनके सहज प्रतीत होनेवाले कथा-शिल्प से अनायास ‘ऑडियो-विजुअल’ प्रभाव उत्पन्न होने लगता है। उनकी टेकनीक एक सुरयलिस्टिक पैटर्न निर्मित करती है जिसमें एक ‘प्रिज़्म’ की तरह छनकर रंगारंग विचारों तथा भावनाओं की घुलनशीलता शामिल हो जाती है। उनकी कहानियाँ हमारी सम्पूर्ण संवेदनाओं को एक साथ तृप्त करती हैं। अगर उनमें गहरी लयबद्ध ऐन्द्रिकता है तो बिना बौद्धिकता का छद्म धारण किये ही ‘वस्तु सत्य’ के मर्म तक पहुँच जानेवाली विश्लेषणपरकता भी है। आजादी के बाद के राजनैतिक परिवर्तनों का दस्तावेजी बयान प्रस्तुत करनेवाली कहानियों में यह तथ्य खूब उभरकर आता है–‘जलवा’ तथा ‘आत्म-साक्षी’ जैसी कहानियों में तटस्थ राजनैतिक बोध की निर्ममता के साथ उस क्रूर ‘ट्रेजडी’ का एहसास भी है जिसमें कोमल मानवीय सच्चाइयों के निर्दयता से कुचले जाने का इतिहास अंकित है।<br/><br/>‘आदिम रात्रि की महक’ की कहानियों में एक नैसर्गिक विनोद वृत्ति है जो एक साथ भाषा, स्थितियों तथा चरित्रों से छेड़छाड़ करती चलती है–चुलबुलेपन की हद तक जाकर! लेकिन उनमें कब अचानक एक करुण मानवीय बोध उतर आता है, इसका पता पाठक को तब चलता है जब उसकी ‘हँसी’ में सहसा एक ‘हूक’ शामिल हो जाती है। ऐसे विरल संयोगों के हिन्दी में रेणु एकमात्र कथाकार हैं।<br/><br/>–विजय मोहन सिंह<br/><br/>(https://rajkamalprakashan.com/aadim-ratri-ki-mehak.html) |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi-Short Stories |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Book |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Bill No | Bill Date | Home library | Current library | Shelving location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Accession Number | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Price effective from | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | Hindi Book | ACR-33556 | 09-01-2024 | Indian Institute of Management LRC | Indian Institute of Management LRC | General Stacks | 02/01/2024 | Amit Book Depot | 138.31 | 891.433 REN | 005424 | 02/01/2024 | 1 | 199.00 | 02/01/2024 | Book |