Murdahiya (Record no. 3499)

MARC details
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788126719631
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.43
Item number TUL
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Tulsiram
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Murdahiya
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Name of publisher, distributor, etc. Vani Prakashan
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Date of publication, distribution, etc. 2018
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 184 p.
365 ## - TRADE PRICE
Price type code INR
Price amount 395.00
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. मुर्दहिया’ हमारे गांव धरमपुर (आजमगढ़) की बहुद्देशीय कर्मस्थली थी। चरवाही से लेकर हरवाही तक के सारे रास्ते वहीं से गुजरते थे। इतना ही नहीं, स्कूल हो या दुकान, बाजार हो या मंदिर, यहाँ तक कि मजदूरी के लिए कलकत्ता वाली रेलगाड़ी पकड़ना हो, तो भी मुर्दहिया से ही गुजरना पड़ता था। हमारे गांव की ‘जिओ-पॉलिटिक्स’ यानी ‘भू-राजनीति’ में दलितों के लिए मुर्दहिया एक सामरिक केन्द्र जैसी थी। जीवन से लेकर मरन तक की सारी गतिविधियाँ मुर्दहिया समेट लेती थी। सबसे रोचक तथ्य यह है कि मुर्दहिया मानव और पशु में कोई फर्क नहीं करती थी। वह दोनों की मुक्तिदाता थी। विशेष रूप से मरे हुए पशुओं के मांसपिंड पर जूझते सैकड़ों गिद्धों के साथ कुत्ते और सियार मुर्दहिया को एक कला-स्थली के रूप में बदल देते थे। रात के समय इन्हीं सियारों की ‘हुआं-हुआं’ वाली आवाज उसकी निर्जनता को भंग कर देती थी। हमारी दलित बस्ती के अनगिनत दलित हजारों दुख-दर्द अपने अंदर लिये मुर्दहिया में दफन हो गए थे। यदि उनमें से किसी की भी आत्मकथा लिखी जाती, उसका शीर्षक ‘मुर्दहिया’ ही होता। मुर्दहिया सही मायनों में हमारी दलित बस्ती की जिंदगी थी। जमाना चाहे जो भी हो, मेरे जैसा कोई अदना जब भी पैदा होता है, वह अपने इर्द-गिर्द घूमते लोक-जीवन का हिस्सा बन ही जाता है। यही कारण था कि लोकजीवन हमेशा मेरा पीछा करता रहा। परिणामस्वरूप मेरे घर से भागने के बाद जब ‘मुर्दहिया’ का प्रथम खंड समाप्त हो जाता है, तो गांव के हर किसी के मुख से निकले पहले शब्द से तुकबंदी बनाकर गानेवाले जोगीबाबा, लक्कड़ ध्वनि पर नृत्यकला बिखेरती नटिनिया, गिद्ध-प्रेमी पग्गल बाबा तथा सिंघा बजाता बंकिया डोम जैसे जिन्दा लोक पात्र हमेशा के लिए गायब होकर मुझे बड़ा दुख पहुंचाते हैं।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name as entry element Dalits -- India -- Biography
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Book
Holdings
Withdrawn status Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Collection code Bill No Bill Date Home library Current library Shelving location Date acquired Source of acquisition Cost, normal purchase price Total Checkouts Full call number Accession Number Date last seen Copy number Cost, replacement price Price effective from Koha item type
    Dewey Decimal Classification     Hindi Book TB1309 27-08-2022 Indian Institute of Management LRC Indian Institute of Management LRC General Stacks 09/16/2022 Technical Bureau India Pvt. Ltd. 308.10   891.43 TUL 003087 09/16/2022 1 395.00 09/16/2022 Book

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