Jane pehchane log
Parsai, Harishankar
Jane pehchane log - New Delhi Rajkamal Prakashan 2021 - 127 p.
.सुविख्यात व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई के इन संस्मरणात्मक शब्दचित्रों को पढ़ना एक नई अनुभव-यात्रा के समान है। इस अनुभव-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि लेखक ने यहाँ अपने समकालीनों के रूप में कुछ साहित्यिक व्यक्तियों की ही चर्चा नहीं की है, बल्कि कुछ ग़ैर-साहित्यिक व्यक्तियों को भी गहरी आत्मीयता से उकेरा है। संग्रह के इस वैशिष्ट्य को परसाई जी ने स्वयं अपने ख़ास अन्दाज़ में इस प्रकार रेखांकित किया है—‘मेरे समकालीन’ जो यह लेख और चरित्रमाला लिखने की योजना है, तो सवाल है, मेरे समकालीन कौन? क्या सिर्फ़ लेखक? डॉक्टर के समकालीन डॉक्टर और चमार के समकालीन चमार? इसी तरह लेखक के समकालीन क्या सिर्फ़ लेखक? नहीं।...लेखकों, बुद्धिजीवी मित्रों के सिवा ये ‘छोटे’ कहलानेवाले लोग भी मेरे समकालीन हैं। मैं इन पर भी लिखूँगा।
फिर भी जिन जाने-अनजाने साहित्यिकों का उन्होंने यहाँ स्मरण किया है, वे हैं—श्रीकान्त वर्मा, केशव पाठक, प्रभात कुमार त्रिपाठी ‘प्रभात’, ब्रजकिशोर चतुर्वेदी, रामविलास शर्मा, शमशेर बहादुर सिंह, नामवर सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी और सोमदत्त। इनके अतिरिक्त ‘मेरे समकालीन’ शीर्षक लेख में परसाई जी ने कुछ और साहित्यिकों को भी प्रसंगत: याद किया है।
वस्तुत: यह कृति परसाई सरीखे रचनाकार के गम्भीर रचनात्मक सरोकारों के साथ-साथ उनकी आत्मीय और सजग सामाजिकता का भी मूल्यवान साक्ष्य पेश करती है।
(https://rajkamalprakashan.com/jane-pahachane-log-paper-back.html)
9789388183536
Hindi fiction
Hindi literature
Memoirs
891.4317 / PAR
Jane pehchane log - New Delhi Rajkamal Prakashan 2021 - 127 p.
.सुविख्यात व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई के इन संस्मरणात्मक शब्दचित्रों को पढ़ना एक नई अनुभव-यात्रा के समान है। इस अनुभव-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि लेखक ने यहाँ अपने समकालीनों के रूप में कुछ साहित्यिक व्यक्तियों की ही चर्चा नहीं की है, बल्कि कुछ ग़ैर-साहित्यिक व्यक्तियों को भी गहरी आत्मीयता से उकेरा है। संग्रह के इस वैशिष्ट्य को परसाई जी ने स्वयं अपने ख़ास अन्दाज़ में इस प्रकार रेखांकित किया है—‘मेरे समकालीन’ जो यह लेख और चरित्रमाला लिखने की योजना है, तो सवाल है, मेरे समकालीन कौन? क्या सिर्फ़ लेखक? डॉक्टर के समकालीन डॉक्टर और चमार के समकालीन चमार? इसी तरह लेखक के समकालीन क्या सिर्फ़ लेखक? नहीं।...लेखकों, बुद्धिजीवी मित्रों के सिवा ये ‘छोटे’ कहलानेवाले लोग भी मेरे समकालीन हैं। मैं इन पर भी लिखूँगा।
फिर भी जिन जाने-अनजाने साहित्यिकों का उन्होंने यहाँ स्मरण किया है, वे हैं—श्रीकान्त वर्मा, केशव पाठक, प्रभात कुमार त्रिपाठी ‘प्रभात’, ब्रजकिशोर चतुर्वेदी, रामविलास शर्मा, शमशेर बहादुर सिंह, नामवर सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी और सोमदत्त। इनके अतिरिक्त ‘मेरे समकालीन’ शीर्षक लेख में परसाई जी ने कुछ और साहित्यिकों को भी प्रसंगत: याद किया है।
वस्तुत: यह कृति परसाई सरीखे रचनाकार के गम्भीर रचनात्मक सरोकारों के साथ-साथ उनकी आत्मीय और सजग सामाजिकता का भी मूल्यवान साक्ष्य पेश करती है।
(https://rajkamalprakashan.com/jane-pahachane-log-paper-back.html)
9789388183536
Hindi fiction
Hindi literature
Memoirs
891.4317 / PAR